नयी दिल्ली : भाजपा अध्यक्ष के रूप में अमित शाह आज से नये कार्यकाल की शुरुआत करने वाले हैं क्योंकि आज उनका पुननिर्वाचन लगभग तय है.पार्टी सूत्रों ने कहा कि शाह का मौजूदा कार्यकाल कल पूरा हो गया था और नया कार्यकाल पूरे तीन साल का होगा. उनका फिर से चुना जाना वस्तुत: औपचारिकता भर है. अमित शाह ने अध्यक्ष पद का वर्तमान कार्यकाल राजनाथ सिंह के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के बाद उनके द्वारा अध्यक्ष पद छोड़ने पर शेष कार्यकाल के लिए पूरा किया, जो लगभग19महीने का रहा.
यूपी की शानदार जीत के कारण बने थे अध्यक्ष
पिछली बार अमित शाह की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी का बड़ा आधार उनके द्वारा उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव के रूप में पार्टी की झोली में 73 लोकसभा सीटें जीत कर देना बना. माना जा रहा था कि बिहार व दिल्ली चुनाव में करारी हार के बाद उन्हें अध्यक्ष पद अगला टर्म पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नहीं दे, लेकिन अंतत: उनके नाम पर सहमति मिल गयी लगती है.
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शाह कल जब अपना नामांकन दाखिल करेंगे तो भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों के उपस्थित रहने की संभावना है. नामांकन के बाद शाह को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की संभावना है. मोदी आज रात शाह और उनकी टीम के लिए रात्रिभोज का आयोजन कर रहे हैं.
चारराज्यों में जीत का तमगा, दो राज्यों में हार काठिकरा
शाह के अध्यक्ष रहते भाजपा महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बाद प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अमित शाह व उनके राजनीतिक संरक्षक नरेंद्र मोदी पर हमले हुए. संघ के अंदर भी इस मुद्दे पर मंथन का दौर चला कि क्या पार्टी में सत्ता व शक्ति का केंद्रीकरण होने दिया जाये या नये विकल्प पर विचार किया जाये. हालांकि अंतत: शाह के नाम सहमति बनी.
यूपी 2017 सबसे बड़ी चुनौती
अगर कल अमित शाह भाजपा अध्यक्ष फिर से चुने जाते हैं तो उनके नेतृत्व में पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के मुहाने तक तो पहुंचेगी, लेकिन चुनाव उस समय नये चुने गये दूसरे अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जायेगा, क्योंकि भाजपा का संविधान लगातार तीसरा कार्यकाल किसी एक व्यक्ति को देने की अनुमति नहीं देता है. ऐसे मेंलोकसभा चुनाव में उनके द्वारा तैयार किये सांगठनिक ताने-बाने की आम चुनाव में मोदी सरकार के कार्य प्रदर्शन के बाद दूसरी सबसे बड़ी भूमिका होगी. लेकिन उससे पहले 2017 में उत्तरप्रदेश चुनाव में जीत दिलाना उनकी सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी. उनसे संघ, भाजपा व मोदी यह उम्मीद करेंगे कि 2014 का यूपी वाला जादू व 2017 में भी दिखा जायें. हालांकि असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु जैसे अहम राज्यों में भी चुनाव होने हैं.