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अरुणाचल प्रदेश में लगाया गया राष्ट्रपति शासन, प्रणव मुखर्जी ने उठाए सवाल

नयी दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. कैबिनेट के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज मुहर लगा दी. आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी जिसकी कांग्रेस सहित आम आदती पार्टी ने आलोचना भी की. इस संबंध […]

नयी दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. कैबिनेट के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज मुहर लगा दी. आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी जिसकी कांग्रेस सहित आम आदती पार्टी ने आलोचना भी की. इस संबंध में आज कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल राष्‍ट्रपति से मुलाकात करेगा.

सूत्रों के अनुसार गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज इस मामले को लेकर राष्‍ट्रपति से मुलाकात की जिसमें प्रणव मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को लेकर सवाल उठाए. वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इसे ‘राजनीतिक असहिष्णुता’ बताते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया.

आपको बता दें किराज्य में पिछले साल 16 दिसंबर को राजनीतिक संकट शुरू हो गया था जब कांग्रेस के 21 बागी विधायकों ने भाजपा के 11 सदस्यों और दो निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर एक अस्थाई स्थान पर आयोजित सत्र में विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया पर ‘महाभियोग’ चलाया. विधानसभा अध्यक्ष ने इस कदम को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताया था.

कांग्रेसी मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ जाते हुए पार्टी के बागी 21 विधायकों ने भाजपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से एक सामुदायिक केंद्र में सत्र आयोजित किया. इनमें 14 सदस्य वे भी थे जिन्हें एक दिन पहले ही अयोग्य करार दिया गया था. राज्य विधानसभा परिसर को स्थानीय प्रशासन द्वारा ‘सील’ किये जाने के बाद इन सदस्यों ने सामुदायिक केंद्र में उपाध्यक्ष टी नोरबू थांगडोक की अध्यक्षता में तत्काल एक सत्र बुलाकर रेबिया पर महाभियोग चलाया.

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों समेत 60 सदस्यीय विधानसभा में 27 विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था. एक दिन बाद विपक्षी भाजपा और बागी कांग्रेसी विधायकों ने एक स्थानीय होटल में मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ मतदान किया और कांग्रेस के एक असंतुष्ट विधायक को उनकी जगह चुनने का फैसला किया लेकिन गोहाटी उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए बागियों के सत्र में लिये गये फैसलों पर रोक लगा दी.

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