नयी दिल्ली :राजनीतिक संकट से जूझ रहे अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को कांग्रेस पार्टी ने आज उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आज शाम कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिला. राष्ट्रपति से मिलकर अरुणाचल मुद्दे को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस बाबत बताया कि हमने अरुणाचल के मुद्दे पर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है और उनसे इस मामले पर ध्यान देने की अपील की है.
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया, ‘‘हमने शीर्ष अदालत की रजिस्टरी में याचिका दायर की है.’ उन्होंने बताया कि प्रदेश कांग्रेस के मुख्य सचेतक बामंग फेलिक्स ने यह याचिका दायर की है और इस पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया गया है.
एक अन्य वकील ने कहा, ‘‘हम डिप्टी रजिस्ट्रार से सूचना का इंतजार कर रहे हैं जो याचिका प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश करेंगे.’ याचिका में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की रिपोर्ट और केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को चुनौती दी गयी है.
दूसरी ओर आज कैबिनेट के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुहर लगा दी. जिसके बाद अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. ज्ञात हो केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी जिसके बाद कांग्रेस सहित तमाम विरोधी दल ने इसका विरोध करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की.
कांग्रेस जहां इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले गयी है वहीं भाजपा ने इसे राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला बताया. भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा यह राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है. मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में विचाराधीन है इसलिए कांग्रेस को इस पर राजनीतिक बयान देने से बचना चाहिए.
* राष्ट्रपति से मिले राजनाथ सिंह
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की. राजनाथ सिंह से मुलाकात में प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति शासन को लेकर सवाल उठाए.
* क्या है मामला
आपको बता दें कि राज्य में पिछले साल 16 दिसंबर को राजनीतिक संकट शुरू हो गया था जब कांग्रेस के 21 बागी विधायकों ने भाजपा के 11 सदस्यों और दो निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर एक अस्थाई स्थान पर आयोजित सत्र में विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया पर ‘महाभियोग’ चलाया. विधानसभा अध्यक्ष ने इस कदम को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताया था.
कांग्रेसी मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ जाते हुए पार्टी के बागी 21 विधायकों ने भाजपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से एक सामुदायिक केंद्र में सत्र आयोजित किया. इनमें 14 सदस्य वे भी थे जिन्हें एक दिन पहले ही अयोग्य करार दिया गया था. राज्य विधानसभा परिसर को स्थानीय प्रशासन द्वारा ‘सील’ किये जाने के बाद इन सदस्यों ने सामुदायिक केंद्र में उपाध्यक्ष टी नोरबू थांगडोक की अध्यक्षता में तत्काल एक सत्र बुलाकर रेबिया पर महाभियोग चलाया.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों समेत 60 सदस्यीय विधानसभा में 27 विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था. एक दिन बाद विपक्षी भाजपा और बागी कांग्रेसी विधायकों ने एक स्थानीय होटल में मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ मतदान किया और कांग्रेस के एक असंतुष्ट विधायक को उनकी जगह चुनने का फैसला किया लेकिन गोहाटी उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए बागियों के सत्र में लिये गये फैसलों पर रोक लगा दी.