गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्ट्रपति ने कहा, आतंकवाद का इलाज ”तीखी छुरी” से करना होगा

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि असहमति दूर करने का एक सभ्य तरीका संवाद है जो सही तरह से कायम रहना चाहिए लेकिन हम गोलियों की बौछार के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते. उन्होंने आतंकवाद को ऐसा कैंसर बताया जिसका इलाज तीखी छुरी से करना होगा. पठानकोट वायु सेना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2016 6:54 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि असहमति दूर करने का एक सभ्य तरीका संवाद है जो सही तरह से कायम रहना चाहिए लेकिन हम गोलियों की बौछार के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते. उन्होंने आतंकवाद को ऐसा कैंसर बताया जिसका इलाज तीखी छुरी से करना होगा. पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर हाल में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

67वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आतंकवाद का उल्लेख करते हुए कहा, आतंकवाद उन्मादी उद्देश्यों से प्रेरित है, नफरत की अथाह गहराइयों से संचालित है, यह उन कठपुतलीबाजों द्वारा भड़काया जाता है जो निर्दोष लोगों के सामूहिक संहार के जरिए विध्वंस में लगे हुए हैं. यह बिना किसी सिद्धांत की लड़ाई है, यह एक कैंसर है जिसका इलाज तीखी छुरी से करना होगा. आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता, यह केवल बुराई है.

देश हर बात से कभी सहमत नहीं होगा, परंतु वर्तमान चुनौती अस्तित्व से जुड़ी है. आतंकवादी महत्त्वपूर्ण स्थायित्व की बुनियाद, मान्यता प्राप्त सीमाओं को नकारते हुए व्यवस्था को कमज़ोर करना चाहते हैं. यदि अपराधी सीमाओं को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो हम अराजकता के युग की ओर बढ़ जाएंगे. देशों के बीच विवाद हो सकते हैं और जैसा कि सभी जानते हैं कि जितना हम पड़ोसी के निकट होंगे, विवाद की संभावना उतनी अधिक होगी. असहमति दूर करने का एक सभ्य तरीका, संवाद है, जो सही प्रकार से कायम रहना चाहिए. परंतु हम गोलियों की बौछार के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते.

राष्‍ट्रपति ने पड़ोसी देशों के साथ संबंध को बेहतर बनाने की बात कही. उन्‍होंने कहा, हमें अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के द्वारा अपनी भावनात्मक और भू-राजनीतिक धरोहर के जटिल मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, और यह जानते हुए एक दूसरे की समृद्धि में विश्वास जताना चाहिए कि मानव की सर्वोत्तम परिभाषा दुर्भावनाओं से नहीं बल्कि सद्भावना से दी जाती है. मैत्री की बेहद जरूरत वाले विश्व के लिए हमारा उदाहरण अपने आप एक संदेश का कार्य कर सकता है.

राष्‍ट्रपति ने भारत को एक उदीयमान शक्ति बताया. उन्‍होंने कहा, भारत एक ऐसा देश है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवान्वेषण और स्टार्ट-अप में विश्व अग्रणी के रूप में तेजी से उभर रहा है और जिसकी आर्थिक सफलता विश्व के लिए एक कौतूहल है.

राष्‍ट्रपति ने कहा, वर्ष 2015 चुनौतियों का वर्ष रहा है. इस दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी रही. वस्तु बाजारों पर असमंजस छाया रहा. संस्थागत कार्रवाई में अनिश्चितता आई. ऐसे कठिन माहौल में किसी भी राष्ट्र के लिए तरक्की करना आसान नहीं हो सकता. भारतीय अर्थव्यवस्था को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. निवेशकों की आशंका के कारण भारत समेत अन्य उभरते बाजारों से धन वापस लिया जाने लगा जिससे भारतीय रुपये पर दबाव पड़ा. हमारा निर्यात प्रभावित हुआ. हमारे विनिर्माण क्षेत्र का अभी पूरी तरह उभरना बाकी है.

2015 में हम प्रकृति की कृपा से भी वंचित रहे. भारत के अधिकतर हिस्सों पर भीषण सूखे का असर पड़ा जबकि अन्य हिस्से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आ गए. मौसम के असामान्य हालात ने हमारे कृषि उत्पादन को प्रभावित किया. ग्रामीण रोजगार और आमदनी के स्तर पर बुरा असर पड़ा.

इस वर्ष 7.3 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर के साथ, भारत सबसे तेजी से बढ़ रही विशाल अर्थव्यवस्था बनने के मुकाम पर है. विश्व तेल कीमतों में गिरावट से बाह्य क्षेत्र को स्थिर बनाए रखने और घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली है. बीच-बीच में रुकावटों के बावजूद इस वर्ष उद्योगों का प्रदर्शन बेहतर रहा है.

आधार 96 करोड़ लोगों तक मौजूदा पहुंच के साथ, आर्थिक रिसाव रोकते हुए और पारदर्शिता बढ़ाते हुए लाभ के सीधे अंतरण में मदद कर रहा है. प्रधान मंत्री जन धन योजना के तहत खोले गए 19 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते वित्तीय समावेशन के मामले में विश्व की अकेली सबसे विशाल प्रक्रिया है. सांसद आदर्श ग्राम योजना का लक्ष्य आदर्श गांवों का निर्माण करना है. डिजीटल भारत कार्यक्रम डिजीटल विभाजन को समाप्त करने का एक प्रयास है. प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का लक्ष्य किसानों की बेहतरी है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जैसे कार्यक्रमों पर बढ़ाये गये खर्च का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दोबारा सशक्त बनाने के लिए रोजगार में वृद्धि करना है.

भारत में निर्माण अभियान से व्यवसाय में सुगमता प्रदान करके और घरेलू उद्योग की स्पर्द्धा क्षमता बढ़ाकर विनिर्माण तेज होगा. स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम नवान्वेषण को बढ़ावा देगा और नए युग की उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करेगा. राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन में 2022 तक 30 करोड़ युवाओं को कुशल बनाने का विचार किया गया है.

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