जयपुर : बीजेपी नेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर अपने राजनीतिक अनुभव को जयपुर साहित्य महोत्सव में बयां किया है. शॉटगन ने वहां अपनी किताब के एनिथिंग बट खामोश को लेकर जयपुर पहुंचे शॉटगन ने यह कहा कि एक ऐसा समय आया जब उन्हें लगा कि राजनीति छोड़ देनी चाहिये. शत्रु ने अपना दर्द बयां करते हुये कहा कि वह इनदिनों दम और सम्मान के बीच झूल रहा है. शत्रु ने कहा कि काफी निराश होने के बाद अपने राजनीतिक गुरू लालकृष्ण आडवाणी के पास गया तब उन्होनें मुझे समझाया और महात्मा गांधी की बात को कोट करते हुये कहा कि किसी भी आंदोलन या अभियान को आगे ले जाने के लिये चार दौर से गुजरना पड़ता है. जिसमें उपहास,उपेक्षा और तिरस्कार के साथ चौथा दमन का दौर होता है.
बिहारी बाबू नेकहा कि उन्होंने मुझे कहा था कि दमन से आगे निकल गया तो सम्मान और प्रतिष्ठा उनके कदम चूमेंगी. शत्रु ने अपने किताब को लेकर पहले भी कई बातें कही हैं. आज उसी कड़ी में उन्होंने कहा कि अब राजनीति में अच्छे लोग नहीं आ पाते हैं और जो बुरे लोग हैं उनके साथ जैसे भी हो चलना पड़ता है. अगर राजनीति गंदी है तो अच्छे लोगों को और आना चाहिये ताकि यह साफ हो सके. शत्रु ने अपने स्टाइल में स्वच्छ और साफ सुथरी छवि की महता बताई. और अपने परिवार के बेटे-बेटियों द्वारा उनका ख्याल रखे जाने का भी जिक्र किया. शत्रु ने दुश्मनी पर भी कई क्रांतिकारी बातें कही.
उनका कहना था कि दुश्मनी स्थायी नहीं होती. उन्होंने वशीर बद्र के उस शेर के लहजे में कहा कि दुश्मनी उतनी भी नहीं करनी चाहिये कि कभी दोस्त बन जाएं तो शर्मिंदा होना पड़े बिहारी बाबू ने अपने राजनीतिक जीवन की कठिनाईयों की चर्चा करते हुये कहा कि उन्होंने इसमें बहुत लंबा संघर्ष किया है. राजनीति अब सीधे और सच्चे लोगों के लिये कष्टकारी है. शत्रु ने साहित्य सम्मेलन में अपनी किताबों की बातों का भी जिक्र किया जिसमें ज्यादात्तर वो राजनीति पर बोलते रहे.