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जयपुर साहित्य महोत्सव में अनुपम खेर और केजरीवाल के मंत्री की ‘तू तू-मैं मैं”

जयपुर : पद्म भूषण के लिए चुने गए अभिनेता अनुपम खेर ने इसे अपने जीवन का ‘सबसे बडा सम्मान’ और ‘बडा मुकाम’ बताया है. उन्होंने कहा कि वह खुद को ‘गौरवान्वित, सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं और बहुत खुश एवं भावविभोर हैं. देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुने गए खेर ने जयपुर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2016 9:38 AM

जयपुर : पद्म भूषण के लिए चुने गए अभिनेता अनुपम खेर ने इसे अपने जीवन का ‘सबसे बडा सम्मान’ और ‘बडा मुकाम’ बताया है. उन्होंने कहा कि वह खुद को ‘गौरवान्वित, सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं और बहुत खुश एवं भावविभोर हैं. देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुने गए खेर ने जयपुर साहित्य महोत्सव के इतर कहा, ‘‘मैंने एक बडा मुकाम हासिल किया है, यह एक बहुत खुशी का दिन है.” उन्होंने कहा, ‘‘यह आपको एक निश्चय देता है कि आपको पूरी जिंदगी एक अभिनेता होने से ज्यादा समाज के लिए काफी कुछ करना होगा। मैं गौरवान्वित, सम्मानित महसूस कर रहा हूं और बहुत खुश एवं भावविभोर हूं. मैं अपने देश भारत का मुझे अपनी जिंदगी का सबसे बडा पुरस्कार देने के लिए आभार जताना चाहता हूं.”

इस महोत्सव के अंतिम दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण वि षय पर चर्चा के दौरान एक ऐसा दौर आया जिसमें अभिनेता अनुपम खेर और दिल्ली के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता कपिल मिश्रा के बीच तकरार देखी गयी. सत्र में प्रस्ताव के खिलाफ में बोलते हुए खेर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जयपुर साहित्‍य महोत्सव जैसे समारोहों में असहिष्णुता के माहौल जैसी समझ तैयार की जा रही है.

उन्होंने कहा कि ऐसे महोत्सवों में असहिष्णुता के माहौल जैसी समझ तैयार करने की तैयारी की जा रही है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक में एक जिम्मेदारी है जिसे निभाना आवश्‍यक है. खेर ने कहा कि भारत ही ऐसा देश हैं, जहां कोई प्रधानमंत्री को कायर और मनोरोगी कह सकता है और बच सकता है. अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधने के लिए खेर पर हमला बोलते हुए केजरीवाल के मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो ‘मन की बात’ कर सकते हैं जिन्हें लोग सुने.

मिश्रा ने कहा कि क्या इस देश में केवल एक व्यक्ति अपने मन की बात सबके सामने रख सकता है? सभी ऐसा कर सकते हैं और करना भी चाहिए. नेताओं को मुझे नहीं बताना चाहिए कि मैं ट्विटर या फेसबुक पर अपने विचार कैसे रखूं.

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