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मुख्य अतिथि ओलांद की मौजूदगी में भव्य राजपथ पर धूमधाम से मना 67वां गणतंत्र दिवस

नयीदिल्ली : सेना के तीनों अंगों के जवानों की तुर्रेदार पगड़ियां, उजले रौबदार चेहरे, शौर्य से चमकती आंखें और बैंड की धुन पर एक साथ उठते बढ़ते संतुलित कदम आज यहां हलके कोहरे की चादर से लिपटे भव्य राजपथ पर देश के गणतंत्र का 67वां उत्सव मनाने उतरे. इस दौरान देश की सैन्य, सांस्कृतिक और […]


नयीदिल्ली :
सेना के तीनों अंगों के जवानों की तुर्रेदार पगड़ियां, उजले रौबदार चेहरे, शौर्य से चमकती आंखें और बैंड की धुन पर एक साथ उठते बढ़ते संतुलित कदम आज यहां हलके कोहरे की चादर से लिपटे भव्य राजपथ पर देश के गणतंत्र का 67वां उत्सव मनाने उतरे. इस दौरान देश की सैन्य, सांस्कृतिक और लोक विरासत को भी पूरी सजधज के साथ पेश किया गया.


फ्रांस्वा ओलांद बने मुख्य
अतिथि


फ्रांसके राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद इस वर्ष की परेड के मुख्य अतिथि बनेे और गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में पहली बारफ्रांस के सैनिकों ने पहली विदेशी टुकड़ी के तौर पर राजपथ पर मार्च किया. इस दौरान दुश्मन का कलेजा कंपा देने वाली हथियार प्रणालियों को भी परेड का हिस्सा बनाया गया.

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सुरक्षा का खास ध्यान


परेड के इंतजाम में इस वर्ष सुरक्षा को खास स्थान दिया गया था और विशिष्ट जन के साथ ही वहां मौजूद हजारों लोगों की भीड़ की सुरक्षा के लिए पूरे इलाके के चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की पैनी निगाहें थीं. ऐसी खुफिया सूचना थी कि आतंकी समूह आज शहर में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं हालांकि परेड देखने आयी हजारों लोगों की भीड़ इस डर से एकदम बेपरवाह होकर राष्ट्रीय त्यौहार को मनाने के लिए रंग बिरंगेकपड़ों में आयी और परेड का जमकर आनंद लिया.

फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच में बैठे थे और डेढ घंटे की इस परेड के दौरान मोदी को कई बार ओलांद को कुछ बताते समझाते देखा गया. भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रणाली के अलावा टी 90 भीष्म टैंक, इंफैंटरी काम्बेट व्हिकल बीएमपी 2, आकाश शस्त्र प्रणाली ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का सचल लांचर, स्मर्च प्रक्षेपास्त्र वाहन आदि इस परेड का मुख्य आकर्षण थे.

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जनरल रवीन्द्रन ने किया नेतृत्व


जनरल आफिसर कमांडिंग, दिल्ली लेफ्टिनेंट जनरल राजन रवीन्द्रन के नेतृत्व में सेना और पुलिस के दस्ते बैंड की मनमोहक धुनों पर सधे कदमों से राजपथ पर सलामी मंच से गुजरे और वहां देश की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी सलामी ली. सैनिकों ने सलामी के तौर पर दाएं पैर को कंधे तक उठाकर पूरी धमक के साथ मातृभूमि पर टिकाते हुए जब एक साथ राष्ट्रपति की तरफ मुड़कर देखा तो जैसे पूरा राष्ट्र उनकी वीरता के आगे नतमस्तक हो गया. इससे पूर्व तीन दिन की राजकीय यात्रा पर भारत आए ओलांद राष्ट्रपति के साथ राजपथ पर पहुंचे जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की और उन्हें तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों से मिलवाया.

परेड शुरू होने से कुछ क्षण पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और तीनों सेना प्रमुखों ने इंडिया गेट में अमर जवान ज्योति पर जाकर देश की आन, बान, शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को नमन किया.


लांस नायक मोहननाथ गोस्वामी अशोक चक्र से सम्मानित


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने परेड शुरु होने से पहले लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को शांति के समय का देश के सर्वोच्च शौर्य सम्मान अशोक चक्र से :मरणोपरांत: सम्मानित किया. 9वीं पैरा :विशेष बल: के जवान मोहन ने जम्मू कश्मीर के कुपवाडा जिले में पिछले वर्ष 2:3 सितंबर की दरम्यानी रात को आतंकवादियों से लड़ते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया था. पुरस्कार उनकी पत्नी भावना गोस्वामी ने ग्रहण किया.

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां खाकी रंग के बंद गले के सूट के साथ केसरिया पगड़ी पहने थे, वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने काली अचकन के साथ काली टोपी पहनी थी.

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सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध


गणतंत्र दिवस के अवसर पर आतंकी हमले की आशंका की खुफिया सूचना के चलते राष्ट्रीय राजधानी में आज जमीन से हवा तक सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किये गए और हजारों जवान चप्पे चप्पे पर कड़ी नजर बनाए हुए थे. राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा का यह आलम था कि इसकी एक तरह से किलेबंदी कर दी गयीथी. हल्की मशीनगनों से लैस कमांडो को सामरिक महत्व के स्थानों पर तैनात किया गया था और राजधानी में दो महत्वपूर्ण स्थानों पर विमान रोधक तोपें लगायी गयी थीं. मध्य औरनयी दिल्ली इलाकों में दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के करीब 50 हजार जवान तैनात किये गए थे. राजपथ पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध केरूप में समारोह स्थल पर वीवीआइपी गलियारे में सुरक्षा के बहुस्तरीय प्रबंध किये गए थे, जिसमें एक घेरा राष्ट्रपति सुरक्षा गार्डों का था, एक एक घेरा एसपीजी अधिकारियों, एनएसजी कमांडो का था और दिल्ली पुलिस सबसे बाहरी सुरक्षा घेरे के तौर पर चौकसी कर रही थी. इंडिया गेट के दो किलोमीटर के दायरे में विशेष गश्ती दल तैनात किए गए थे. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राजपथ के ईद गिर्द 45 इमारतों पर सुरक्षा बलों के सटीक निशानेबाजों को तैनात किया गया है. विमान भेदी तोपधारियों को स्पष्ट निर्देश थे कि बिना अनुमति के हवा में उड़ान भरने वाली किसी भी वस्तु को तत्काल गिरा दें. इस दौरान इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विमानों की आवाजाही पर रोक थी.


15 हजार सीसीटीवी कैमरे


एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा इंतजाम के तहत मध्य औरनयी दिल्ली क्षेत्र में 15 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाये गए. करीब एक हजार यातायात अधिकारियों को रिवाल्वर जारी किये गए ताकि किसी भी खतरे से तत्काल निपटा जा सके. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस प्रमुख बीएस बस्सी ने अपने बलों और पड़ोसी राज्यों के पुलिस विभागों से ड्रोनों पर सतर्क नजर रखने को कहा. इन्हें सुरक्षा के लिएबड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है.

फ्रांस का सैनिक दस्ता शामिल


राजपथ से ऐतिहासिक लालकिले तक हर साल होने वाली परंपरागत गणतंत्र दिवस परेड में इस बार फ्रांस के सैनिकों के एक दस्ते को शामिल किया गया. यह पहला अवसर है, जब किसी विदेशी सैन्य टुकड़ी ने गणतंत्र दिवस समारोह की परेड मेें हिस्सा लिया. परेड में फ्रांसिसी दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल पॉल बरी कर रहे थे. फ्रांस के 76 सैनिकों का यह दस्ता उस देश के सबसे पुराने रेजिमेंटों में से एक है. राजपथ पर फ्रांस का दस्ता जब मार्च पास्ट करता हुआ गुजर रहा था तब सलामी मंच पर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मौजूद थे जो इस समारोह में मुख्य अतिथि थे. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने वाले ओलांद फ्रांस के पांचवे शासन प्रमुख हैं. भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में फ्रांस के शासन प्रमुख सबसे अधिक बार मुख्य अतिथि बने हैं. इस वर्ष परेड में 36 सदस्यीय श्वान दस्ते ने हिस्सा लिया जिसमें 24 लेब्राडोर और 12 जर्मन शेफर्ड शामिल थे. 26 वर्ष बाद श्वान दस्ते को परेड में शामिल किया गया.

श्वान दस्ते के इन सदस्यों को विस्फोटक और बारूदी सुरंगों का पता लगाने और इनकी पहचान करने एवं निगरानी करने का प्रशिक्षण दिया गया है.

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उंटाें का दस्ता मुख्य आकर्षण


सीमा सुरक्षा बल के सजे धजे उंटों का दस्ता परेड का एक अन्य आकर्षण था. इसमें 56 उंटों को शामिल किया गया था. परेड में पहली बार पूर्व सैनिकों की एक झांकी भी पेश की गयी, जो राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान का बखान कर रही थी.

भारतीय वायु सेना की झांकी का विषय मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान रखा गया था. इसमें उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में बाढ़ के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की सहायता करने के वायु सैनिकों के जज्बे का मुजाहिरा किया गया. इसमें नेपाल में पिछले साल आए प्रलंयकारी भूकंप में भी भारतीय वायु सेना के साहसिक अभियान की झलक दिखायी गयी.

भारतीय नौसेना की झांकी का विषय सामुद्रिक सुरक्षा और स्वदेशीकरण के जरिए भारत का सशक्तीकरण था. इसमें कोच्चि शिपयार्ड में बनाए जा रहे देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ और भारत में ही बनी पनडुब्बी ‘कावेरी’ को दिखाया गया, जिनपर ‘मेड इन इंडिया’ का टैग लगा था.

सेना के माचि’ग दस्ते में घोड़ों पर सवार 61वीं कैवलरी के जवान, पैराशूट रेजीमेंट, कोर ऑफ सिग्नल्स, राजपूत रेजीमेंट, गढवाल राइफल्स, असम रेजीमेंट और 11 गोरखा राइफल्स शामिल थे.

अर्द्धसैनिक बलों और अन्य सहायक सिविल बलों के दस्तों में सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, भारतीय तटरक्षक, केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल का महिला दस्ता, रेलवे सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय कैडेट कोर और नेशनल सर्विस स्कीम शामिल है.

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17 राज्यों की झाकियां शामिल


परेड में 17 राज्यों और छह केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की झांकियां शामिल कीगयी थीं. इनके माध्यम से देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प कला की अनूठी छटा पेश की गयी.

इस अवसर पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए 25 बच्चों में से 23 ने परेड में शिरकत की. दो बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया.

स्कूली बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए दिल्ली के पांच स्कूलों के 500 लड़के लड़कियों ने अपने नृत्य से राजपथ को गुलजार कर दिया. साउथ सेंट्रल जोन कल्चरल सेंटर के स्कूली बच्चों के एक समूह ने भी अपनी प्रस्तुति दी.

कोर ऑफ सिग्नल्स के जवानों ने मोटर साइकिल पर अपने करतब दिखाकर परेड का आकर्षण और बढ़ा दिया.

अंत में भारतीय वायु सेना के विमानों के शानदार फ्लाईपास्ट ने अपने जांबाज करतबों से राजपथ के आकाश पर अपने साहस और शौर्य की एक और गाथा लिख दी. बादलों से घिरे नीले आकाश में चक्र की आकृति उकेरने के बाद विक फोरमेशन में एमआई 35 हेलीकाप्टरों और तीन सी 130 जे सुपर हरक्यूलस विमानों ने ‘हरक्यूलस’ फोरमेशन बनायी.

इनके पीछे ग्लोब फोरमेशन में एक सी 17 ग्लोबमास्टर और दो एसयू 30 विमानों ने हिस्सा लिया. उसके बाद पांच जगुआर तीर की शक्ल में आसमान को चीरते हुए निकले और फिर तीन एस यू 30 एमकेआई विमानों ने सांसें रोक देने वाला ‘त्रिशूल’ फोरमेशन बनाया.

फ्लाईपास्ट के अंत में एक अन्य एसयू 30 एमकेआइ ने सलामी मंच के उपर से उड़ान भरते हुए वहां उपस्थित विशिष्ट जन को सांकेतिक सलामी दी.

समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ.

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