अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर SC में सुनवाई आज दो बजे
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है जिसके खिलाफ कांग्रेस ने विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कांग्रेस की इस याचिका पर बुधवार यानी आज दो बजे सुनवाई होगी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्रीय […]
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है जिसके खिलाफ कांग्रेस ने विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कांग्रेस की इस याचिका पर बुधवार यानी आज दो बजे सुनवाई होगी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंगलवार को मंजूरी दे दी, जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
वहीं दूसरी ओर दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त वाई एस डडवाल और सेवानिवृत्तद आईएएस अधिकारी जी एस पटनायक को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. केंद्र द्वारा मंगलवार से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बाद यह नियुक्तियां हुई हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों अधिकारियों को राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा का सलाहकार नियुक्त किया गया है.
1974 बैच के आईपीएस अधिकारी डडवाल दिल्ली पुलिस प्रमुख के पद पर अपनी सेवाएं देने के बाद 2011 में अद्धसैनिक बल एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) से सेवानिवृत्त हुए थे. पटनायक 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जो दिल्ली सरकार में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे.
अरुणाचल प्रदेश में एक माह से अधिक चल राजनीतिक अस्थिरता के बाद केंद्र ने इस पूर्वोत्तर राज्य को राष्ट्रपति शासन के अधीन ला दिया और विधानसभा को निलंबित कर दिया. हालांकि उच्चतम न्यायालय में भी यह मामला चल रहा है. केंद्र सरकार के फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे ‘‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है.
आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल 16 दिसंबर को राजनीतिक संकट शुरू हुआ था, जब कांग्रेस के 21 बागी विधायक भाजपा के 11 विधायक और दो निर्दलीय विधायकों ने मिल कर एक अस्थायी स्थान पर आयोजित सत्र में विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया पर महाभियोग चलाया. स्पीकर ने इस कदम को अवैध और असंवैधानिक बताया था. इन विधायकों ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ जाते हुए एक सामुदायिक केंद्र में सत्र आयोजित किया था, इनमें वैसे 14 सदस्य भी थे जिन्हें एक दिन पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था.