अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के पीछे ”गोहत्या”!
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिफारिश करने वाले गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा ने ‘गोहत्या’ को राज्य में पूरी तरह धराशायी होती कानून व्यवस्था के लिए दोषी बताया है. इस बात का खुलासा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आज अपनी खबर में किया है. अखबार में छपी खबर के अनुसार […]
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिफारिश करने वाले गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा ने ‘गोहत्या’ को राज्य में पूरी तरह धराशायी होती कानून व्यवस्था के लिए दोषी बताया है. इस बात का खुलासा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आज अपनी खबर में किया है. अखबार में छपी खबर के अनुसार गवर्नर ने गोहत्या को बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार बताते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी. गवर्नर ने संवैधानिक मशीनरी के नाकाम होने का दावा करते हुए इमरजेंसी लगाने के वाजिब कारण गिनाने के लिए राजभवन के बाहर मिथुन ‘गाय’ के काटे जाने की तस्वीर बतौर सबूत रिपोर्ट में डाली दी.
अखबार ने यह खुलासा बुधवार को गवर्नर के वकील सत्या पाल जैन की रिपोर्ट के आधार पर किया है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और गवर्नर को वे सारे सबूत रखने को कहा था, जो ये साबित कर सकें कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके. कोर्ट ने इस मामले को ‘बेहद गंभीर’ भी बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से बुधवार को जवाब तलब भी किया.
कोर्ट की संवैधानिक बेंच की अगुआई कर रहे जस्टिस जेएस खेहर ने गवर्नर की रिपोर्ट मांगी जिसके जवाब में जैन ने बताया कि गवर्नर ने राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी थी. जैन ने बताया कि गवर्नर इस रिपोर्ट को कांग्रेस और पार्टी के नेताओं से साझा नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे इस मामले में याचिकाकर्ता के तौर पर थे.
जैन ने कहा कि हम कोर्ट को सारी चीजें दिखाएंगे. हम जजों को गोहत्या की फोटोज भी दिखाएंगे. ये तस्वीरें एक रिपोर्ट अटैच है. आपको बता दें कि मिथुन गाय की गिनती पहाड़ों के मवेशी के तौर पर ही नहीं होती बल्कि इसे अरुणाचल प्रदेश में राजकीय पशु का दर्जा भी हासिल है.