अबतक नहीं सूखे हमारे आंसू: निर्भया के पिता

नयी दिल्ली: बीते साल पूरे भारत को दहला देने वाले 16 दिसंबर को हुए निर्मम सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘हमारे आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं. हर दिन के गुजरने के साथ उसकी यादें और गहरी होती जाती हैं. घर पर कोई न कोई तो हमेशा रोता रहता है.’’ हालांकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2013 10:51 AM

नयी दिल्ली: बीते साल पूरे भारत को दहला देने वाले 16 दिसंबर को हुए निर्मम सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘हमारे आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं. हर दिन के गुजरने के साथ उसकी यादें और गहरी होती जाती हैं. घर पर कोई न कोई तो हमेशा रोता रहता है.’’ हालांकि नौ माह की सुनवाई के बाद चार बलात्कारियों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी लेकिन उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद से लड़की का परिवार हमेशा सदमे, दुख और गुस्से में ही रहता है.

पीड़िता के 48 वर्षीय पिता ने आंसुओं से भरी आंखों के साथ प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘हम कभी इससे उबर नहीं पाएंगे और वह हमारे बीच अभी भी जीवित है.’’ उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी जब भी कुछ पकाती है तो वह अपनी बेटी को याद करती है.

भरी हुई आवाज से उन्होंने कहा, ‘‘जब भी हम खाना खाने बैठते हैं, मेरी पत्नी कहती है, ‘यह उसका पसंदीदा खाना है और हम उसके बिना ही इसे खा रहे हैं. उसे अच्छा खाना बहुत पसंद था. मेरी पत्नी याद करती है कि आखिरी बार हमारी बेटी ने यह कहकर घर छोड़ा था कि वह तीन-चार घंटों में वापस आ जाएगी. लेकिन हमारा वो इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ क्योंकि वे घंटे महीनों में बदल गए और महीने सालों में.’’

आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि उन्होंने कड़ी सजा से बच निकले किशोर आरोपी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है और उनकी असल लड़ाई तो अब शुरु हुई है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है. हम चाहते हैं कि घटना के समय किशोर रहे उस दोषी समेत सभी दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए. तभी शायद हमारे दिमागों को थोड़ी शांति मिलेगी और हम शांति से सो सकेंगे.’’ पति की इस बात पर निर्भया की मां ने भी सहमति जताई.

पीड़िता के माता-पिता ने 30 नवंबर को उच्चतम न्यायालय का रख किया था और अपील की थी कि किशोरों के खिलाफ आपराधिक अदालत में अभियोजन को प्रतिबंधित करने वाले कानून को हटाकर, इस घटना के समय किशोर रहे दोषी के खिलाफ मामला चलाने के निर्देश दिए जाएं.

जब उनसे पूछा गया कि क्या बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शनों को शुर करने वाले और सरकार को बलात्कार-विरोधी कानूनों में संशोधन करने व महिलाओं की सुरक्षा के उपायों की समीक्षा के लिए बाध्य करने वाली इस घटना के बाद से महिलाएं देश में सुरक्षित महसूस करती हैं, तो पिता ने कहा, ‘‘जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक महिलाएं सड़कों पर सुरक्षित नहीं हो सकतीं.’’

पिता ने कहा, ‘‘भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे, कानून तक बदले गए थे और पुलिस भी ज्यादा सक्रिय व चौकस हो गई है लेकिन क्या महिलाओं के खिलाफ अपराध रके हैं?’’अपने चेहरे पर निराशा के भाव लाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हर दूसरे दिन बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाओं की खबर आती है. कहां हुआ है बदलाव? मुङो तो कोई बदलाव नहीं दिखता, आपको दिखता है?’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून व्यवस्था में बदलाव किए जाने की जरुरत है ताकि बलात्कार के मामलों की सुनवाई तय समय में हो और लोग ऐसे अपराध करने से डरें. उन्होंने कहा, ‘‘माता-पिता अपनी बेटियों को घर से निकलने पर सावधान रहने के लिए कहें.’’ निर्भया का परिवार 29 दिसंबर को उसकी बरसी पर उत्तरप्रदेश के बलिया स्थित अपने घर जाएगा. 29 दिसंबर ही वह दिन था जब 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी प्रशिक्षु सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में जिंदगी के लिए अपनी जंग हार गई थी.

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