राष्ट्रपति का सवाल : क्या PM, FM को उद्योगपतियों से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए?
नयी दिल्ली : क्या भारतीय प्रधानमंत्री या वित्तमंत्री को उद्योगपतियों से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए? राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा में यह सवाल किया है. इसका जवाब भी खुद ही देते हुए उन्होंने कहा है कि उद्योगपतियों के साथ उनकी बैठक व्यक्तिगत या सामूहिक, बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. राष्ट्रपति […]
नयी दिल्ली : क्या भारतीय प्रधानमंत्री या वित्तमंत्री को उद्योगपतियों से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए? राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा में यह सवाल किया है. इसका जवाब भी खुद ही देते हुए उन्होंने कहा है कि उद्योगपतियों के साथ उनकी बैठक व्यक्तिगत या सामूहिक, बहुत महत्वपूर्ण होती हैं.
राष्ट्रपति का कहना है कि वित्त मंत्री तथा वाणिज्य मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उक्त मान्यता का अनुपालन किया. जबकि वीपी सिंह उद्योगपतियों के साथ अलग से यानी व्यक्तिगत स्तर पर बैठक के ‘खिलाफ’ थे. राष्ट्रपति ने अपनी किताब में 1988 से 1991 के बीच की अवधि का संदर्भ देते हुए इस मुद्दे पर वीपी सिंह तथा उनकी सोच में अंतर को रेखांकित किया है. सिंह को राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया था. इस दौरान देश में सामाजिक व राजनीतिक उठापटक का दौर रहा.
उन्होंने लिखा है, ‘उदाहरण के रूप में वित्त मंत्री के रूप में वह (वीपी सिंह) उद्योगपतियों के साथ व्यक्तिगत बैठक नहीं करने को लेकर दृढ़ थे. वहीं मेरे विचार – जिनका मैंने वित्त मंत्री व वाणिज्य मंत्री के रूप में अनुपालन किया- यह थे कि उद्योगपतियों के साथ व्यक्तिगत या सामूहिक बैठकें किसी संदर्भ विशेष की समुचित समझ हासिल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ‘ राष्ट्रपति ने अपनी किताब, ‘द टरब्यूलेंट इयर्स- 1980-1996’ में यह संदर्भ दिया है.