हैदराबाद/नयी दिल्ली : सक्रिय राजनीति में रहने के दौरान प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के संकट मोचक माने जाते थे,जो हर मुश्किल परिस्थितिसेपार्टी और सरकार को निकाललेजातेहैं. लेकिन, उनकी आत्मकथा की दूसरे खंड के प्रकाशन के बाद कांग्रेस से मतभिन्नता के स्वर प्रकट होने लगे हैं, हालांकि पार्टी ने औपचारिक रूप से इस पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन हमेशा अलग लाइन अख्तियार करने वाले पार्टी के कद्दावर महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुंह खोला है. कांग्रेस के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल को खोलने का निर्णय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नहीं लिया था बल्कि अदालत के आदेश के आधार पर लिया गया था. साथ ही उन्होंंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा अपने संस्मरण में कही उस बात से असहमति व्यक्त की कि यह फैसला गलत था.
सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘ द्वार खोलने का कार्य राजीव गांधी ने नहीं किया था. यह अदालत का निर्णय था. शिलान्यास गलत फैसला हो सकता है :राजीव गांधी द्वारा:. द्वार खोलने का निर्णय श्रीमान राजीव गांधी का नहीं था.’ मुखर्जी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि राजीव गांधी द्वारा द्वार खोलने का निर्णय गलत था और विवादस्पद ढांचे को गिराया जाना विश्वासघात था जिससे भारत की छवि ध्वस्त हुई. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने हालांकि इस बात से सहमति व्यक्त की कि इसका ध्वस्त होना तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्ह राव की सबसे बड़ी विफलता थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं. ‘
इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहाथा, ‘‘राष्ट्रपति प्रथम नागरिक हैं. हम उनका सम्मान करते हैं. हमने पुस्तक नहीं पढी है. हम इसे पढने के बाद ही कुछ कहेंगे.’ उनसे पूछा गया था कि क्या कांग्रेस मुखर्जी के बयानों से सहमत है जो राष्ट्रपति बनने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं.