जानमानी भारतीय महिला चित्रकार अमृता शेरगिल की आज 103वीं जयंती है. इस खास दिन पर गूगल के होमपेज पर भी अमृता शेरगिल का डूडल बनाया गया है. गूगल ने तीन महिलाओं के एक साधारण चित्र को डूडल बनाकर पेश किया है. अमृता शेरगिल को भारत की चर्चित महिला चित्रकारों में से एक माना जाता है. 30 जनवरी 1913 को हंगरी के बुडापेस्ट में जन्मीं अमृता शेरगिल के पिता उमराव सिंह शेरगिल सिक्ख और मां मेरी एंटोनी गोट्समन हंगरी मूल की यहूदी थी. उनकी जयंती पर जानें उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…
1. अमृता शेरगिल को बचपन से ही चित्रकारी का बहुत शौक था, और वे 8 साल की छोटी सी उम्र में ही वायलिन और पियानो बजाने के अलावा कैनवास पर छोटे-छोटे चित्र उकेरनी लगी थीं.
2. वर्ष 1921 में वे शिमला आई थी इसके बाद अपनी मां के साथ वे इटली चली गई. इसके बाद वर्ष 1934 में वे फाइनली भारत आ गईं और उनकी चित्रकारी के सफर ने तेजी पकड़ ली.
3. पूरी तरह से भारतीय न होने के बावजूद वे भारतीय संस्कृति को जानने के लिए हमेशा उतावली रहीं. उन्होंने अपने चित्रों में भारतीय संस्कृति की कुछ अलग ही तस्वीरें सामने लाईं.
4. उनकी प्रारंभिक कलाकृतियों में पेरिस के कुछ कलाकारों का पाश्चात्य प्रभाव साफ झलकता है. लेकिन भारत लौटने के बाद अपनी मृत्यु तक वे भारतीय कला परंपरा की पुन: खोज में जुटी रहीं.
5. गरीब लोगों की जीवनी पर चित्रकारी करना और भारतीय नारी कि वास्तविक स्थिति को उकेरना उनकी चित्रकारी की एक खास विशेषता थी. ऐसा कहा जाता था उनकी चित्रकारी में चित्र बोलते हैं.
6. अमृता शेरगिल के चित्र अब भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैयक्तिक और सार्वजनिक संग्रहालयों में सम्मिलित हैं.
7. वर्ष 1935 में उन्हें शिमला फाइन आर्ट सोसायटी की तरफ़ से सम्मान दिया गया. इसके बाद वर्ष 1950 में उन्हें बॉम्बे आर्ट सोसायटी की तरफ़ से पारितोषिक भी दिया गया.
8. वर्ष 1941 में वे अपने पति के साथ लाहौर चली गई, वहाँ उनकी पहली बडी एकल प्रदर्शनी होनी थी. लेकिन अचानक वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गई और 20 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
9. उनके काम को राष्ट्रीय कला कोष घोषित किया गया है. अमृता शेरगिल को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने 1970 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया था.
10. हंगरी में बचपन बीतने के बावजूद उनकी चित्रकारी में भारतीय संस्कृति की खूबसूरत झलक देखने को मिलती है.