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मैं किसी का एजेंट नहीं हूं : अरुणाचल के राज्यपाल

इटानगर : अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने आज उन आरोपों से इंकार किया कि उन्होंने राजभवन का उपयोग भाजपा और आरएसएस के मुख्यालय के रुप में किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह संविधान के दायरे के तहत काम कर रहे हैं. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं गैर..राजनीतिक व्यक्ति हूं […]

इटानगर : अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने आज उन आरोपों से इंकार किया कि उन्होंने राजभवन का उपयोग भाजपा और आरएसएस के मुख्यालय के रुप में किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह संविधान के दायरे के तहत काम कर रहे हैं.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं गैर..राजनीतिक व्यक्ति हूं और कभी भी राजभवन का उपयोग राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय के तौर पर नहीं किया तथा किसी भी राजनीतिक पार्टी की ओर मेरा झुकाव नहीं है. मैं संविधान के दायरे के तहत काम कर रहा हूं.” उनके पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने के कांग्रेस के आरोप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी का एजेंट नहीं हूं.”

उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन राज्य में लगाया गया केंद्रीय शासन अस्थायी अवधि के लिए है. राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है जिसे स्थिति सामान्य होने पर राष्ट्रपति द्वारा कभी भी वापस लिया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ देर सबेर, लोकतांत्रिक रुप से निर्वाचित सरकार होगी… हालांकि, उस समय तक कानून व्यवस्था को प्रभावी तरीके से किसी भी कीमत पर कायम रखना होगा एवं हमें भ्रष्टाचार पर नियंत्रण तथा सुशासन भी सुनिश्चित करना है.” जब उनका ध्यान इस तथ्य की ओर इस दिलाया गया कि उच्चतम न्यायालय में राज्य से संबंधित कई मामले हैं, राज्यपाल ने कहा कि उनके सहित हर किसी को उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करना है.

राजखोवा ने कहा कि राज्य में एक स्थिर सरकार होनी चाहिए, न कि ऐसी सरकार जैसी पिछले कुछ महीनों से थी. उन्होंने राजनीतिक दलों से ‘‘पूर्ण सहयोग” की अपील की और धैर्य रखने को कहा. राजखोवा ने इस बात से इंकार किया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के लिए केंद्र को भेजे अपने पत्र में उन्होंने गोवध को कानून व्यवस्था बिगडने के कारणों में से एक बताया था, जैसा मीडिया के एक हिस्से में कहा गया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ‘‘मिथुन वध” का जिक्र किया था.

उन्होंने कहा कि मीडिया ने रिपोर्ट को तोड़ मरोड़ कर पेश किया और उन्होंने कभी भी अपनी रिपोर्ट में गोवध का जिक्र नहीं किया. यहां तक कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने भी इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया है.

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