जयराम ने मोदी की तुलना आसाराम से की

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए आज कहा कि उनका लोकायुक्त पर बोलना आसाराम का ‘‘ब्राह्मचर्य पर बोलने के समान है.’’ उन्होंने कल मोदी द्वारा उत्तराखंड में एक रैली के दौरान लोकपाल विधेयक को लेकर राहुल गांधी का माखौल उड़ाये जाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2013 5:10 PM

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए आज कहा कि उनका लोकायुक्त पर बोलना आसाराम का ‘‘ब्राह्मचर्य पर बोलने के समान है.’’ उन्होंने कल मोदी द्वारा उत्तराखंड में एक रैली के दौरान लोकपाल विधेयक को लेकर राहुल गांधी का माखौल उड़ाये जाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर यह बात कही. ग्रामीण विकास मंत्री प्राय: विवादास्पद बयान देते रहे हैं और अब उन्होंने मोदी की तुलना उस आसाराम से की है जिन पर यौन हमले का आरोप है.

मोदी ने सवाल उठाया था कि लोकपाल विधेयक पर बल देने वाली कांग्रेस उत्तराखंड में भुवनचंद खंडूरी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा बनाये गये लोकायुक्त कानून को लागू क्यों नहीं कर रही है. रमेश ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने दस साल तक अपने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त नहीं किया. उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी कानून के मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है.उन्होंने कहा, ‘‘जो व्यक्ति 10 साल तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं करता अब वह लोकायुक्त के बारे में बोल रहा है. दस साल तक उन्होंने लोकायुक्त नियुक्त नहीं किया और अब वह लोकायुक्त पर उपदेश दे रहे हैं. यह आसाराम का ब्राह्मचर्य के बारे में बोलने की तरह है.’’ आसाराम पर एक अल्पवय लड़की पर कथित रुप से यौन हमला करने का आरोप है. सितंबर में उनकी गिरफ्तारी के बाद से वह जोधपुर जेल में बंद हैं.

रमेश ने उत्तराखंड के लोकायुक्त कानून को एक ‘‘मजाक’’ बताया था और कहा कि कानून में कुछ समस्याएं हैं. लेकिन इस बारे में उन्होंने विस्तार से नहीं बताया. लोकपाल विधेयक के मसौदे को लेकर जिस समय अन्ना हजारे का आंदोलन अपने चरम पर था, उत्तराखंड विधानसभा में एक नवंबर 2011 को लोकायुक्त विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था. इससे पहले खंडूरी सितंबर 2011 में राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे.

दो साल के इंतजार के बाद इस कानून को इस साल सितंबर में राष्ट्रपति की मंजूरी प्रदान की गयी. लेकिन यह विधेयक राज्य में अभी तक लागू नहीं हो पाया क्योंकि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुछ संशोधनों के बाद इसे लागू करना चाहते हैं. उत्तराखंड लोकायुक्त कानून के दायरे में मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और नौकरशाह आते हैं.

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