कानून मंत्रालय ने विधि आयोग के प्रमुख के चयन के लिए 48 पूर्व न्यायाधीशों की सूची पीएमओ को भेजी
नयी दिल्ली : कानून मंत्रालय ने विधि आयोग के अगले प्रमुख के चयन के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के 48 पूर्व न्यायाधीशों की एक सूची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजी है. यह पद पिछले सितंबर से ही रिक्त है. बीसवें विधि आयोग का कार्यकाल 30 अगस्त को समाप्त हो गया और केंद्रीय कैबिनेट […]
नयी दिल्ली : कानून मंत्रालय ने विधि आयोग के अगले प्रमुख के चयन के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के 48 पूर्व न्यायाधीशों की एक सूची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजी है. यह पद पिछले सितंबर से ही रिक्त है.
बीसवें विधि आयोग का कार्यकाल 30 अगस्त को समाप्त हो गया और केंद्रीय कैबिनेट ने नौ सितंबर को 21वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी थी. कानून मंत्रालय ने 21वें विधि आयोग के गठन के लिए पिछले साल 14 सितंबर को एक अधिसूचना जारी की थी। लेकिन अब तक इसके प्रमुख और सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गयी है.
अधिसूचना के अनुसार अध्यक्ष के अलावा आयोग में सदस्य सचिव सहित चार पूर्णकालिक सदस्य, दो पदेन सदस्य होंगे। अंशकालिक सदस्यों की संख्या पांच से ज्यादा नहीं होगी. आयोग का हर तीन साल पर पुनर्गठन किया जाता है और सामान्यतया उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश इसके अध्यक्ष होते हैं उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश भी इसके प्रमुख हो सकते हैं. ‘‘अन्य श्रेणियों” से अध्यक्ष की नियुक्ति का भी प्रावधान है जिसका अर्थ कोई न्यायविद या अवकाशप्राप्त नौकरशाह है. सामान्यतया किसी पूर्व अध्यक्ष को नहीं नियुक्त किया जाता लेकिन अपवाद हो सकते हैं.
नियुक्तियां हो जाने के बाद आयोग को अपराध न्याय प्रणाली के मुद्दे पर गौर करना होगा और राहत प्रदान की प्रक्रिया में एकरुपता के लिए जमानत कानून की सिफारिश करनी होगी। ये दोनों मुद्दे लंबे समय से उसके सामने हैं. आयोग का पहली बार गठन 1955 में किया गया था और हर तीन साल पर इसका पुनर्गठन किया जाता है. कैबिनेट के फैसले के बारे में जारी एक बयान में कहा गया था कि विधि आयोग अब तक 262 रिपोर्टें सौंप चुका है.