आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को बेनकाब किया जाना चाहिए : एस जयशंकर

जयपुर : भारत ने आज कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को बाकायदा उनके नाम लेकर शर्मिन्दा किया जाए और आतंकवाद को लेकर उनके दोहरे चरित्र को ‘बेनकाब’ किया जाना चाहिए. विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां एक सुरक्षा सम्मेलन में पाकिस्तान का परोक्ष रुप से जिक्र करते हुए यह भी कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2016 9:58 PM

जयपुर : भारत ने आज कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को बाकायदा उनके नाम लेकर शर्मिन्दा किया जाए और आतंकवाद को लेकर उनके दोहरे चरित्र को ‘बेनकाब’ किया जाना चाहिए.

विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां एक सुरक्षा सम्मेलन में पाकिस्तान का परोक्ष रुप से जिक्र करते हुए यह भी कहा कि कुछ देशों का यह मानना कि बाहर आतंकवादी समूहों का समर्थन करके वे घरेलू स्तर पर शांति कायम कर सकते हैं, उन देशों का ‘‘भ्रम’ है. उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया. उन्होंने साथ ही कहा कि पिछले महीने पठानकोट में वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की जांच के संबंध में भारत, पाकिस्तान के साथ संपर्क में बना रहेगा.
जयशंकर ने यहां ‘‘आतंकवाद से मुकाबला सम्मेलन 2016′ में कहा, ‘‘आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों का बाकायदा नाम लेकर उन्हें शर्मिंदा किया जाना चाहिए. इस संबंध में दोहरा चरित्र अपनाने वालों को बेनकाब किया जाना चाहिए.’ देश के इस शीर्ष राजनयिक ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में यह अंतरिम कदम उठाए जा सकते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर बार पलटवार करके उसे नुकसान पहुंचाने की क्षमता का इस्तेमाल किया जाए. हालांकि विश्व समुदाय अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन की संभावनाओं पर आगे बढने के लिए काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय जन भावनाओं का दबाव आतंकवाद को इतनी क्षति पहुंचा सकता है जितनी इसका इस्तेमाल करने वालों ने सोची भी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि अधिकतर मामलों में राज्यों के सहयोग के बिना राज्येतर लोगों के लिए आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना मुश्किल है. उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक युग में एक खास भूगोल में किसी आतंकवादी हमले की जडों का पता लगाना मुश्किल नहीं है. इसी तरह किसी भी समाज में आतंकवाद में संलिप्त लोगों की मौजूदगी का पता लगाना भी मुश्किल कार्य नहीं है.’
जयशंकर ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए वृहत्तर अंतरराष्ट्रीय सहयोग कायम करने का आह्वान किया और साथ ही कहा कि आतंकवाद के तथाकथित पीडित तक अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद से लडने में सहयोग नहीं करते. उन्होंने कहा कि सरकारों को आतंकवादी हमलों की निंदा करते हुए एकजुट संदेश देकर एकजुटता का प्रदर्शन करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘पठानकोट हमला होने के बाद से हम पाकिस्तान के संपर्क में हैं.
हम अपने स्तर पर तथा एनएसए स्तर पर संपर्क में हैं क्योंकि केवल संपर्क में रहकर ही हम उम्मीद कर सकते हैं कि वे हमारे द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना पर प्रगति करेंगे.’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए पूरी दुनिया को प्रोत्साहित करना भारतीय कूटनीति के सबसे बडे लक्ष्यों में से एक है.
विदेश सचिव ने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए रासायनिक हथियार जैसे समझौते की जरुरत है. उन्होंने कहा, ‘‘विश्व में रासायनिक हथियारों और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रोक है. आतंकवाद से भी इसी प्रकार मुकाबला क्यों नहीं किया जा सकता .’ देश के पूर्वी भागों में आतंकवाद के मसले पर विदेश सचिव ने कहा कि आतंकवाद से लडने के मसले पर भारत सरकार की म्यांमार से बातचीत हुई है और भारत की चिंताओं पर अनुकूल प्रतिक्रिया मिली है.
देश के पूर्वी भागों में आतंकी गतिविधियों के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘म्यांमार के साथ हमारी कुछ समस्याएं हैं और हमारी उनसे कुछ बातचीत भी हुई है. पिछले कुछ महीनों में कुछ घटनाएं हुई हैं. संभावना है कि सीमा के उस पार से आतंकवादी हमले की आशंका कम होंगी.

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