IIMC में आज दीक्षांत समारोह, हंगामे के आसार
नयी दिल्ली : भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में आज होने वाले वार्षिक दीक्षांत समारोह से पहले गुरुवार को तनाव बना रहा. संस्थान में ‘जातिवादी’ टिप्पणियों के आरोपों को लेकर उसके पूर्व छात्रों के एक वर्ग ने समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है. दलितों के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट डालने वाले छात्र ने अधिकारियों को […]
नयी दिल्ली : भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में आज होने वाले वार्षिक दीक्षांत समारोह से पहले गुरुवार को तनाव बना रहा. संस्थान में ‘जातिवादी’ टिप्पणियों के आरोपों को लेकर उसके पूर्व छात्रों के एक वर्ग ने समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है. दलितों के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट डालने वाले छात्र ने अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले को ‘व्यक्तिगत दुश्मनी’ से जुडा होने का दावा करते हुए कहा कि इसने उसके भविष्य को ‘खतरे’ में डाल दिया है. उसने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ इस कदम को शिक्षकों का एक वर्ग ‘हवा’ दे रहा है.
तनाव के बावजूद संस्थान में आज दीक्षांत समारोह को फैसला किया गया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि दीक्षांत समारोह में छात्रों का एक दल हंगामा कर सकता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा संचालित संस्थान के परिसर में वर्तमान बैच (2015-16) के कुछ छात्रों ने एक ‘सद्भावना मार्च’ भी निकाला और संस्थान का नाम ‘खराब’ ना करने की अपील की. दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड शामिल होंगे.
संस्थान के दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करने का फैसला करने वाले एक पूर्व छात्र ने कहा कि वह उस परिसर के समारोह का हिस्सा नहीं बन सकता ‘जो एक बहुत गंभीर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है.’ वर्ष 2014-15 बैच से संबंधित इस पूर्व छात्र ने कहा, ‘हम दीक्षांत समारोह के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए कामकाजी पत्रकार और सजग नागरिकों के तौर पर हमारा दृढता से मानना है कि हम दीक्षांत समारोह का हिस्सा नहीं हो सकते.’
सरकार ने संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के खिलाफ कथित रूप से की गयी जातिवादी टिप्पणियों के आरोपों की जांच के लिए कहा है. हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद ये कथित टिप्पणियां की गयीं. संस्थान ने भी आरोपों की जांच को लेकर एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है और उससे तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.
दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करने का फैसला करने वाले एक दूसरे छात्र ने कहा, ‘मामले की जांच के लिए एक समिति के गठन के बावजूद कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की गयी. इसके अलावा छात्रों का एक वर्ग प्रगतिशील दलित एवं अल्पसंख्यक छात्रों को होशियारी से निशाना बना रहा है और मानसिक रूप से चोट पहुंचा रहा है.’