भुवनेश्वर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) की 34,555 करोड रुपये की लागत से तैयार रिफाइनरी को आज राष्ट्र को समर्पित किया. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के ओडिशा दौरे पर हैं. रिफाइनरी के उद्घाटन के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरी में मंदिर जाकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए. उन्होंने यहां पहुंचने के बाद थोड़ी देर गाडी के गेट पर खडे होकर वहां पहुंचे लोगों का अभिनंदन किया.
ओडिशा दौरे की शुरूआत पीएम ने आज सुबह राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईएसईआर) के नए परिसर के उद्घाटन के साथ की जिसके बाद उन्होंने एनआईएसईआर के छात्रों एवं संकाय सदस्यों के साथ संवाद के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सौर उर्जा को संग्रहित करना एक चुनौती है. मोदी ने कहा कि मैंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे नवोन्मेष को लोगों के लिए उपयोगी बनाएं और ऐसी तकनीक विकसित करें जो पर्यावरण पर बिना कोई विपरीत प्रभाव डाले आमजन के लिए किफायती साबित हो.
मोदी ने भुवनेश्वर के निकट जटनी में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईएसईआर) के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘अनुसंधान में शामिल हर किसी को शायद नोबेल पुरस्कार नहीं मिले, लेकिन उनके लिए असली पुरस्कार यह है कि उनका अन्वेषण आम लोगों के लिए उपयोगी हो.’ देश के पारंपरिक ज्ञान पर मोदी ने कहा, ‘‘डॉक्टर मंजुल भार्गव पांडुलिपियों से ज्ञान अर्जित करके एक महान गणितिज्ञ बने. उनके पिता संस्कृति के विद्वान थे। हमें विज्ञान एवं तकनीक के साथ के पारंपरिक ज्ञान को जोडना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोगों के लिए किफायती बनाने की होनी चाहिए जिसका जीरो-इफेक्ट एवं जीरो डिफेक्ट हो.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जीरो-इफेक्ट’ का मतलब पर्यावरण पर किसी विपरीत प्रभाव नहीं पडने और दुष्प्रचार से मुक्त होने से है. मोदी ने कहा कि ओडिशा के पास बडा कोयला भंडार है. ऐसे में किफायती, सस्ती और हरित तकनीक का विकास होना चाहिए ताकि कोयला गैसीकरण यहीं विकसित हो सके.
भारत के समुद्र एवं आकाश की संसाधन की क्षमता का दोहन अभी नहीं होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि वह संसाधनों का अन्वेषण करे और लोगों के फायदे के लिए इनका उपयोग करे. मोदी ने कहा, ‘‘हमारे पूर्वजों ने समुद्र को ‘रत्न गरभा’ क्यों कहा. यह इसलिए कि संपदा समुद्र में है. समुद्री अनुसंधान समुद्री क्षेत्रों में होनी चाहिए।’ अंतरिक्ष अनुसंधान पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मंगल मिशन के जरिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपनी उपस्थिति पहले ही महसूस करा चुका है. उन्होंने इस बात का स्मरण किया कि जब वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान आरंभ किया तब उनको पर्याप्त मात्रा में साजो-सामान का सहयोग नहीं मिलता था. इसके बाद भी वे बहुत सफल हैं.
उर्जा संरक्षण और सस्ती उर्जा की जरुरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सस्ती सौर उर्जा का उत्पादन वैज्ञानिकों के लिए बडी चुनौती है. तकनीक का विकास ऐसे होना चाहिए ताकि देश के गरीब लोगों को भी फायदा हो सके. उन्होंने कहा, ‘‘अगर 100 :स्मार्ट: शहर एलईडी बल्ब का इस्तेमाल करते हैं तो देश 20,000 मेगावाट बिजली की बजत करेगा. एक छोटी तकनीकी पहल से करोडों रुपये बचाए जा सकते हैं.’ इस कार्यक्रम में ओडिशा के राज्यपाल एस सी जमीर, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्रीय मंत्री जुआल ओरांव और धर्मेंद्र प्रधान मौजूद थे.