JNU : हुर्रियत के दोनों धडों ने की पुलिस कार्रवाई की निन्दा, राहुल भी उतरे समर्थन में

श्रीनगर : हुर्रियत कान्फ्रेंस के दोनों धडों ने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किए जाने की आज निन्दा की और कार्रवाई को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया. कन्हैया को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ परिसर में कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2016 8:49 AM

श्रीनगर : हुर्रियत कान्फ्रेंस के दोनों धडों ने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किए जाने की आज निन्दा की और कार्रवाई को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया. कन्हैया को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ परिसर में कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. हुर्रियत के नरमपंथी धडे के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक ने यहां एक बयान में कहा, ‘जेएनयू के छात्र के खिलाफ पुलिस कार्रवाई अलोकतांत्रिक है.’ हुर्रियत के कट्टरपंथी धडे के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने एक अलग बयान में कन्हैया की गिरफ्तारी और छात्रों तथा प्रोफेसर एसएआर गिलानी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की निन्दा की.

देर रात एबीवीपी ने किया प्रदर्शन

दूसरी ओर देशविरोधी नारों के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जेएनयू में प्रदर्शन किया और भारत माता की जय जैसे नारे लगाये. परिषद के कार्यकर्ता लगातार जेएनयू परिसर में हुए देशविरोधी कृत्‍य पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. शुक्रवार को दिन में भी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

राहुल गांधी ने धौंस देने का लगाया आरोप

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी इस मामले में कूद पड़े हैं. उन्‍होंने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए गिरफ्तारी को सरकार का धौंस पट्टी करार दिया है. उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार जेएनयू जैसे संस्थान पर अपनी धौंस जमा रही है जो पूरी तरह से निंदनीय है. हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत विरोधी भावना को स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और एबीवीपी जेएनयू जैसे संस्थान पर सिर्फ इसलिए धौंस जमा रहे हैं कि यह उनके अनुसार नहीं चल रहा. यह पूरी तरह से निंदनीय है. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने टवीट किया, भारत विरोधी भावना स्वीकार्य होने का कोई सवाल ही नहीं है जबकि असहमति और चर्चा का अधिकार लोकतंत्र का आवश्यक तत्व है.

Next Article

Exit mobile version