नयी दिल्ली : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर शुक्रवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है इसी बीच लेफ्ट समर्थक छात्रों ने कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग करते हुए दरभंगा-नई दिल्ली संपर्कक्रांति एक्सप्रेस को रोक दिया है. यह ट्रेन बिहार के दरभंगा में रोकी गयी है जिससे उसमें मौजूद यात्रियों को दिक्क्त का सामना करना पड़ रहा है.उल्लेखनीय है कि जेएनयू छात्र संगठन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय के बीहट गांव के रहने वाले हैं.
आपको बता दें कि कन्हैया के समर्थन में केवल दिल्ली ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है. झारखंड की राजधानी रांची में गुरुवार को अलबर्ट एक्का चौक पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष नेता कन्हैया कुमार के समर्थन में वाम दल के प्रदर्शन का विरोध कर रहे दो युवकों ने हंगामा खड़ा कर दिया. इस क्रम में अलबर्ट एक्का चौक पर भगदड़ मच गयी. इसकी सूचना जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को मिली, तो वे लोग भी पहुंचे. इस दौरान अलबर्ट एक्का चौक पर वामदल के सदस्यों व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों की बीच तू-तू -मैं-मैं शुरू हो गयी.
कन्हैया कुमार की तस्वीर वाली टी-शर्ट
दिल्ली में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के खिलाफ यहां विरोध रैली में गुरुवार को सैकडों लोग कन्हैया कुमार की तस्वीर वाली प्रिंटेड टी-शर्ट पहने हुए देखे गये. यहां कुछ टी-शर्ट बेचे गये थे जबकि कुछ को मुफ्त में वितरित किया गया था. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के कार्यकर्ता विष्णु जायसवाल ने दावा किया कि वह खुद इस तरह के टी-शर्ट का विचार लेकर सामने आये थे. उन्होंने दावा किया कि टी-शर्ट ने प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में ही बडी संख्या में लोगों को आकर्षित किया.
जेएनयू विवाद पर इतिहासकार और कलाकार
जेएनयू विवाद की पृष्ठभूमि में रोमिला थापर एवं जीत ताहिल जैसे जानेमाने इतिहासकारों और लेखको ने कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की निंदा की और कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान में बातचीत की जगह पुलिस कार्रवाई को नहीं लेना चाहिए. कन्हैया की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए और उसकी तत्काल रिहाई की मांग करने वाले बयान पर 9,000 से अधिक कलाकारों, लेखकों और इतिहासकारों ने एक बयान पर हस्ताक्षर किए हैं. इस बयान में कहा गया है, ‘‘कन्हैया के सार्वजनिक बयान से यह स्पष्ट तौर पर दिखता है कि उसके खिलाफ देशद्रोह सबसे अंतिम कार्रवाई हो सकती थी.’ बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में कला क्षेत्र की जानीमानी हस्ती गायत्री सिन्हा और गीता कपूर, फिल्मकार पल्लवी पॉल, संजय काक और इरफान गुफरान शामिल हैं.
एबीवीपी का उड़ रहा है मजाक
जेएनयू विवाद से निपटने में केंद्र के तरीके के खिलाफ संगठन से इस्तीफा देने वाले एबीवीपी के तीन पूर्व पदाधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि अपने संगठन का समर्थन करने के लिए उनका मजाक बनाया जा रहा था और ‘अपराधबोध’ ने उनको यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया. एबीवीपी की जेएनयू इकाई के पूर्व संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल ने कहा, ‘‘ऐसे रुख का समर्थन करने के लिए लोग हमारा मजाक बना रहे थे. हम यह करके ग्लानि महसूस कर रहे थे. जब पूरे विश्वविद्यालय को राष्ट्र विरोधी करार दिया जाने लगा तो मुझे बहुत दुख हुआ. लेकिन मैं जेएनयू के छात्र के तौर पर खडा नहीं हो सका. इसके बाद हमने अपनी पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला किया.
कन्हैया की मेडिकल रिपोर्ट
सीपीआइ एमएल नेता कविता कृष्णन ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि कन्हैया कोई देशद्रोही नहीं है. कुछ चैनल वालों ने गलत क्लिप चलाकर उसको देशद्रोही बता दिया है. उन्हें शर्म आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कन्हैया की फौरन रिहाई होनी चाहिए और सबको मिलीकर उससे माफी मांगनी चाहिए. वहीं टीवी रिपोर्ट की माने तो बुधवार को कन्हैया के साथ मारपीट की मेडिकल रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बात साफ तौर पर कही गयी है कि उसके साथ मारपीट की गयी जिससे उसे चेस्ट पेन हुआ.