स्वदेशी युद्धक विमान तेजस को आईओसी 2 हासिल हुई

बेंगलूर : देश के सैन्य विमानन क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल स्वदेशी सुपरसोनिक विमान एलसीए तेजस को आज प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी2) प्राप्त हो गई जिससे यह विमान भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन में शामिल होने के करीब पहुंच गया है. वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन ने ‘सेवा दस्तावेज जारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2013 3:58 PM

बेंगलूर : देश के सैन्य विमानन क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल स्वदेशी सुपरसोनिक विमान एलसीए तेजस को आज प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी2) प्राप्त हो गई जिससे यह विमान भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन में शामिल होने के करीब पहुंच गया है.

वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन ने ‘सेवा दस्तावेज जारी करने’ को स्वीकार कर लिया. इस समारोह में रक्षा मंत्री ए के एंटनी, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

आकाश को चीरकर गजर्ना करते तेजस विमान के बारे में एंटनी ने कहा, ‘‘ भारत के लिए आज बड़ा दिन है.’’ तेजस परियोजना को 1983 में मंजूरी मिली थी और दिन दशक के अथक परिश्रम के बाद स्वदेशी लड़ाकू विमान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर हासिल किया गया. ब्राउन ने कहा, ‘‘ यह दिन ऐतिहासिक मील का पत्थर है और यह भारत के उन गिने चुने देशों के समूह में प्रवेश को रेखांकित करता है जो अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का डिजाइन तैयार करने में सक्षम हैं.’’

आईओसी 2 प्राप्त होने के बाद हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड को बहु उद्देश्यीय लड़ाकू विमान के उत्पादन की दिशा में आगे बढने से पहले कई और चीजे हासिल करनी होंगी और इसके बाद उसे अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी) प्राप्त करनी होंगी.

आईओसी 2 हासिल होने के बाद एक इंजन का हल्का और अग्रिम पंक्ति का यह लड़ाकू विमान आईएएफ पायलटों की ओर से नियमित रुप से उड़ाया जा सकेगा जो इसके उड़ान परीक्षण मूल्यांकन से जुड़ा होगा.

एलएसी का नाम 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘‘तेजस’’ रखा था और इसे 2011 में प्रथम प्रारंभिक परिचालन मंजूरी प्राप्त हुई थी. इस समय वायु सेना ने इसमें कई सुधार की जरुरत बतायी थी. एलसीए कार्यक्रम को अगस्त 1983 में मंजूरी प्राप्त हुई थी और इसपर 560 करोड़ रुपये लागत की बात कही गई थी. इसे मिग 21 का स्थान लेना है. हालांकि इसने कई बार समयसीमा का पालन नहीं किया.

एचएएल के अधिकारियों ने कहा कि यहां पर उत्पादन सुविधा स्थापित की गई हैं और उसकी योजना प्रारंभ में प्रति वर्ष आठ विमान सालाना तथा आईएएफ और रक्षा मंत्रालय के साथ विचार विमर्श के बाद इसे बढ़ाकर प्रति वर्ष 16 करना है.

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