बाल पोर्नोग्राफी मामला : आईटी विशेषज्ञों की मदद लेगा बाल आयोग

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की ओर से केंद्र सरकार को बाल पोर्नोग्राफी को प्रतिबंधित करने के उपाय सुझाने के लिए कहे जाने की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अयोग ने आज कहा कि बच्चों से जुडे पॉर्न पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए एक व्यवस्था बननी चाहिए और वह इस संदर्भ में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2016 12:17 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की ओर से केंद्र सरकार को बाल पोर्नोग्राफी को प्रतिबंधित करने के उपाय सुझाने के लिए कहे जाने की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अयोग ने आज कहा कि बच्चों से जुडे पॉर्न पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए एक व्यवस्था बननी चाहिए और वह इस संदर्भ में सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेगा. आयोग के सदस्य यशवंत जैन ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने जो कहा है वो स्वागतयोग्य है. हम आशा करते हैं कि सरकार बाल पोर्नोग्राफी को प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाएगी। हम चाहते हैं कि देश के बच्चों की पहुंच से पोर्न को दूर रखा जाए, इसके लिए ठोस व्यवस्था बननी चाहिए.”

उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत जल्द आईटी विशेषज्ञों और इंटरनेट के जानकारों की मदद लेंगे और फिर ऐसी वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने के उपायों के बारे में सरकार को अपने सुझाव देंगे.” उच्चतम न्यायालय ने कल केंद्र से देश में सभी प्रकार की बाल पोर्नोग्राफी (अश्लीलता) पर पाबंदी लगाने के तरीके सुझाने को कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि देश ‘‘अभिव्यक्ति की आजादी या स्वतंत्रता” के नाम पर ‘‘कोई परीक्षण नहीं कर सकता.” न्यायूमर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने कहा कि सभी को कला और अश्लीलता के बीच एक रेखा खींचने की जरुरत है और बाल पोर्नोग्राफी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सही नहीं ठहराया जा सकता. उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि पोर्नोग्राफी से संबंधित पैमानों पर फैसला होना चाहिए और अन्य मामलों में भी यह व्यवस्था दी गई है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1 ए) में मौजूद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ‘‘संपूर्ण” नहीं है और इस पर तर्कसंगत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

जैन ने कहा, ‘‘ हां, यह बात सच है कि बाल पोर्नोग्राफी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा. इसमें कई तरह की चुनौतियां हैं. परंतु आईटी क्षेत्र के जानकारों की मदद से हर संभव कदम उठाया जाना चाहिए। सामाजिक स्तर पर भी यह कोशिश होनी चाहिए कि पोर्नोग्राफी को बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाए।” उन्होंने कहा, ‘‘देश के भीतर अगर बच्चों को पोर्नोग्राफी में शामिल किया जाता है तो उसके खिलाफ पोस्को कानून में व्यवस्था है. लेकिन जो बाल पोर्नोग्राफी विदेशों से परोसी जा रही है उसको रोकने के लिए शायद कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिए व्यवस्था बनाने की जरुरत है. हम अपनी ओर से सरकार को सुझाव जरुर देंगे.”

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