नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने लोकसभा मेंआम बजट पेश कर दिया. इस बजट को लेकर नेताओं ने भी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. इस बजट में जहां गांव और ग्रामीण विकास के लिए बहुत कुछ है, वहीं विरोधियों का आरोप है कि सरकार बस सपने दिखा रही है अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने लोकसभा मेंआम बजट पेश कर दिया. इस बजट को लेकर नेताओं ने भी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. इस बजट में जहां गांव और ग्रामीण विकास के लिए बहुत कुछ है, वहीं विरोधियों का आरोप है कि सरकार बस सपने दिखा रही है अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. हालांकि कई नेताओं ने बजट में कुछ चीजों की सराहा है. आइये जानते हैंबजट परक्या कहते है प्रमुख नेता.
लालकृष्ण आडवाणी( भाजपा) –मैंने सदन में बहुत सारे बजट पेश होते देखे हैं. आज जो बजट अरुण जेटली जी ने पेश किया है वह उनमें से एक है जो सबसे बेहतरीन है. इस बजट में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी और आधुनिकिकरण पर जोर दिया गया है. इस वक्त जब पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, भारत की स्थिति बेहतर है. यह बताता है कि आने वाले वक्त में भारत का भविष्य उज्ज्वल है. बजट 2016 में यह क्षमता है कि यह भारत के आर्थिक विकास को और तेजी देगा, रोजगार पैदा करेगा जो हमारे समाज को एकरूपता प्रदान करेगा. बजट में ग्रामीण भारत पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
किरण रिजजू( गृहराज्यमंत्री) : इससे बेहतक बजट एक आम आदमी के लिए क्या हो सकता है. यह ग्रामीण भारत के बदलाव लाने वाला है.
शत्रुध्न सिन्हा ( भाजपा नेता) : मैं बजट का एक्सपर्ट नहीं हूं, लेकिन इससे सहमत हूं कि यह एक शानदार बजट है इस बजट में शिक्षा और रक्षा पर ज्यादा फोकस नजर आता है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ( कांग्रेस): इस बजट में कुछ भी खास नहीं है.
देवेन्द्र फडणवीस( मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र) : इस बजट में ज्यादा जोर विकास पर दिया गया है. इसके अलावा कृषि और ग्रामीण विकास पर जोर दिया गया है.
नीतीश कुमार ( मुख्यमंत्री, बिहार) : ये लोग कृषि के विकास पर बात कर रहे थे किसानों की हितों पर चर्चा कर रहे थे लेकिन बजट मेंइसकीकोई चिंता नहीं दिखती.
वीरभद्र सिंह (मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश) : मुझे लगता है यह एक बेहद साधारण बजट है, इसमें कुछ भी क्रांतिकारी नहीं है.
दीनेश त्रिवेदी( तृणमूल कांग्रेस): यह बजट ऐसा नहीं है जो विकास को बढ़ावा देगा और ना ही ऐसा है कि व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा.
डी राजा (सीपीआई) : सरकार ने कॉरपोरेट जगत को बहुत सारे वादे किये हैं. पता नहीं अब इन वादों को कैसे पूरा करेंगे. बजट में कुछ भी शानदार नहीं है.