भाजपा ने बजट को सराहा तो विपक्ष ने बताया ‘‘जुमलेबाजी””

नयी दिल्ली : विपक्ष ने आज बजट की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इसे किसानों के अनुकूल बताना ‘‘सिर्फ जुमलेबाजी” है और ‘‘खोखले वादों” से सरकार किसानों को ‘‘मूर्ख” नहीं बना सकती. वहीं भाजपा ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण भारत के लिए किए उपाय ‘‘ऐतिहासिक” हैं. कांग्रेस ने सरकार पर तीखा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 29, 2016 7:28 PM

नयी दिल्ली : विपक्ष ने आज बजट की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इसे किसानों के अनुकूल बताना ‘‘सिर्फ जुमलेबाजी” है और ‘‘खोखले वादों” से सरकार किसानों को ‘‘मूर्ख” नहीं बना सकती. वहीं भाजपा ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण भारत के लिए किए उपाय ‘‘ऐतिहासिक” हैं. कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह रोजगार सृजन सहित आर्थिक चुनौतियों को दूर करने के लिए ‘‘तत्काल प्रोत्साहन प्रदान करने में नाकाम रहा है.” पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इसमें किसी ‘‘बड़े विचार” का अभाव है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बजट में ‘‘दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता” दोनों का अभाव है. उन्होंने कहा कि ‘‘पिछले दो बजटों में किए गए बड़े बड़े वादों की नाकामी” पर गौर किए बिना नए वादे किए गए हैं. राहुल ने ट्वीट किया, ‘‘ मोदीजी ने पहले दो साल ग्रामीण विकास और सामाजिक व्यय, मनरेगा और किसानों पर कांग्रेस पार्टी के ध्यान केंद्रित करने का उपहास किया.
अब सिर्फ जुमलेबाजी, बिना दृष्टि और कार्रवाई के, न तो किसान और न ही इस देश के गरीब मूर्ख बनेंगे.” उन्होंने हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली को ब्रेल पेपर पर से आयात शुल्क हटाने की उनकी सिफारिश स्वीकार कर लिए जाने पर धन्यवाद किया. इस कदम से दृष्टिबाधित लोगों को मदद मिलेगी.
बजट की आलोचना करते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इसमें दूरदृष्टि का अभाव है और यह खोखले दावों से भरा हुआ है. उन्होंने दावा किया कि परोक्ष करों को बढाने से आम लोगों पर ज्यादा भार पडेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार के पिछले दो बजटों की तरह यह बजट भी एक बार फिर खोखले वादों और नारों से भरा हुआ है.” येचुरी ने ट्वीट किया कि वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए है लेकिन इसमें कोई दूरदृष्टि (विजन) नहीं है. उन्होंने कहा कि उपकर बढाने से आम लोगों पर भार बढ़ेगा.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ग्रामीण भारत और किसानों पर ध्यान केंद्रित किए जाने को लेकर बजट की सराहना करते हुए इसके कई उपायों को ‘ऐतिहासिक’ बताया. शाह ने जोर दिया कि देश की आजादी के बाद यह पहला बजट है जिसमें ‘‘गांवों, किसानों और गरीबों” पर इतना जोर दिया गया है. शाह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बजट का जोर ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्रों को मजबूत करने तथा रोजगार सृजन बढ़ाने पर है…कृषि पर काफी ध्यान दिया गया है. साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का प्रस्ताव है.”
उन्होंने स्थानीय निकायों को 2.70 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए जाने, एक मई 2018 तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने और प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना के लिए 19,000 करोड रुपये से अधिक की राशि आवंटित किए जाने का जिक्र किया. नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि ‘‘सूटबूट वाले लोगों” पर बजट को केंद्रित नहीं कर अरुण जेटली ने चतुराई से विपक्ष का काम कठिन बना दिया है.
बीजद नेता बैजयंत पांडा ने कहा कि वृहतर आर्थिक नजरिए से यह एक बड़ा कदम है. ग्रामीण अवसंरचना के लिए किए गए बड़े आवंटन और लाल फीताशाही खत्म करना प्रगति उन्मुखी हैं. उन्होंने वित्त मंत्री की सराहना करत हुए कहा कि कई राज्यों में चुनाव के करीब होने के बाद भी यह लोकलुभावन बजट नहीं है. पूर्व वाणिज्य मंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि बजट में कई चीजें ऐसी हैं जिनका भविष्य में स्पष्टीकरण करना पडेगा. उन्होंने कहा कि बजट रोजगार सृजन और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने में कोई ‘‘तत्काल प्रोत्साहन” पैदा करने में विफल रहा है.

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