नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले में कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे है अब एक और अधिकारी सामने आये हैं जिनके हस्ताक्षर इशरत जहां मामले में दोनों हलफनामा पर हैं. आतंरिक सुरक्षा सचिव आर,वी.एस मणि ने इशरत जहां मामले में पहला हलफनामा बनाया था और उसमें इनके हस्ताक्षर थे.
पहले हलफनामें में यह साफ तौर पर कहा गया था कि इशरत जहां और मारे गये सभी लोग आतंकी थे. पहला हलफनामा 6 अगस्त 2009 को फाइल किया गया था जबकि दूसरा 9 सितंबर 2009 को फाइल किया गया जिसमें उन्हें आतंकी होने के सबूत ना मिलने की बात कही गयी थी.
अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ से बातचीत के दौरान आर.वी, एस माणी ने कहा कि पहला हलफनामा मैंने ही बनाया था अपने दो अधिकारियों के साथ मिलकर और इसे तथ्यों के आधार पर ही तैयार किया गया था. जब उनसे पूछा गया कि क्या वो मानते हैं कि इशरत जहां और उनके साथ मारे जाने वाले लोग आतंकी थे इस सवाल उन्होंने कहा कि देखिये मेरे मानने से कुछ नहीं होता और हम कागजों के अनुसार सत्य और असत्य को मानते हैं पहले हलफनामें में तो यही था. पहले हलफनामें पर हस्ताक्षर करने से पहले मुझे गृह मंत्री से इसकी अनुमति मिली थी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या आपने दूसरा हलफनामा ड्राफ्ट किया था इस पर उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि नहीं मैंने नहीं ड्राफ्ट किया लेकिन मुझसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया तो मैंने हस्ताक्षर कर दिया था. यह सरकार की तरफ से आदेश था तो मैंने इसका पालन किया. जब उनसे पूछा गया कि किसने ये लेटर ड्राफ्ट किया तो माणी ने कहा कि इसे मैंने ड्राफ्ट नहीं किया मेरे दो सीनियर अधिकारियों ने भी इसे ड्राफ्ट नहीं किया अब इसे किसने ड्राफ्ट किया इसका पता तो आप को ही करना होगा.
माणी से जब गृह सचिव के बयान की चर्चा की गयी जिसमें उन्होंने गृह मंत्री पर लेटर ड्राफ्ट करने की बात कही है तो उन्होंने कहा कि गृह सचिव का संबंध सबसे ज्यादा गृह मंत्रालय से रहता है अगर उन्होंने लेटर ड्राफ्ट नहीं किया तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसी स्तर पर ड्राफ्ट हुआ हो. जब उनसे पूछा गया कि हलफनामा बनाते वक्त पर आप पर कोई दबाव था तो उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा कि देखिये नियम साफ है सरकार से जो आदेश आये उसका पालन करना है और मैंने वही किया मैं इनकार नहीं कर सकता था