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घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे राज्य सरकार : दिग्विजय सिंह

भोपाल: उमा भारती के अलावा मध्यप्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (व्यापमं) घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है. मुख्यमंत्री चौहान को आज सुबह बधाई देने उनके सरकारी निवास पहुंचे कांग्रेस महासचिव एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री […]

भोपाल: उमा भारती के अलावा मध्यप्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (व्यापमं) घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है.

मुख्यमंत्री चौहान को आज सुबह बधाई देने उनके सरकारी निवास पहुंचे कांग्रेस महासचिव एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शाम को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘उमाजी के साथ मैं भी मुख्यमंत्री से व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग करता हूं और मैने चौहान को इससे आज सुबह अवगत भी करा दिया है’’.

उन्होने कहा कि विधानसभा में 31 मार्च 2011 को विधायक प्रताप ग्रेवाल, 12 जुलाई को राधेलाल बघेल एवं 23 फरवरी 2012 को पारस सखलेचा के सवाल के जवाब में सरकार ने व्यापम घोटाले के बारे में कहा था कि ऐसा कोई प्रकरण सामने नहीं है, जबकि इससे पहले मामले की प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज हो चुकी थी. ऐसा जवाब देकर सरकार ने विधानसभा के साथ ही प्रदेश की पूरी जनता को गुमराह करने किया है. अब तो इस मामले में कुल नौ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं.

सिंह ने कहा कि व्यापमं के तत्कालीन प्रमुख डॉ. पंकज त्रिवेदी के कम्प्यूटर में बहुत सारे राज दफन हैं और सरकार को चाहिए कि प्रदेश की जनता को इनसे अवगत कराए. वह यह भी बताए कि घोटाले में संलिप्त जनअभियान परिषद उपाध्यक्ष डॉ. अजय मेहता का मुख्यमंत्री के परिवार से क्या संबंध है.उन्होंने कहा कि इस घोटाले को उजागर करने वाले डॉ. आनंद राय को जान से मारने की धमकी मिल रही है, उन्होने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है, लेकिन पुलिस ने इसके लिए उनसे 45 हजार रुपये प्रतिमाह मांगे हैं, जो अनुचित है. उन्होने मुख्यमंत्री चौहान से अपेक्षा की है कि डॉ. राय को तत्काल सुरक्षा दी जाए और यदि उन्हें कुछ होता है, तो इसकी जवाबदारी सरकार की होगी.

एक सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समूचे प्रकरण की सीबीआई से जांच में यदि सरकार चाहे, तो उनके कार्यकाल को भी यानि 2003 के पहले जब से वह चाहे, जांच में शामिल कर सकती है. उन्होने कहा कि व्यापम घोटाले में कांग्रेस अथवा भाजपा के जो भी लोग, चाहे वह कितना ही बड़े पद पर आसीन रहा हो अथवा है, को बख्शा नहीं जाना चाहिए. इस घोटाले में बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ हुआ है और रिश्वत लेकर विभिन्न सरकारी नौकरियां बांटी गई हैं.

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