राहुल गांधी की नैया पार लगायेंगे ”प्रशांत किशोर”?
नयी दिल्ली : यूपी विधान सभा चुनाव को लेकर आज दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक बुलाई है जिसमें राज्य के 40 वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ नरेंद्र मोदी और जदयू की नैया चुनाव में पार लगाने वाले आइटी प्रोफेशनल प्रशांत किशोर को भी बुलाया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार में लोकसभा […]
नयी दिल्ली : यूपी विधान सभा चुनाव को लेकर आज दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक बुलाई है जिसमें राज्य के 40 वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ नरेंद्र मोदी और जदयू की नैया चुनाव में पार लगाने वाले आइटी प्रोफेशनल प्रशांत किशोर को भी बुलाया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार में लोकसभा चुनाव में भाजपा और बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के प्रचार की कमान संभालने के बाद अब प्रशांत किशोर यूपी में कांग्रेस का हाथ मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव 2017 में होगा लेकिन इसको लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इसी सिलसिले में आज दिल्ली में पार्टी के रकाबगंज ऑफिस में एक अहम बैठक बुलाई गयी है.
नीतीश की जीत में किशोर की भूमिका
2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव और पिछले साल के आम चुनाव में मोदी को सुशासन के चेहरे के रुप में पेश करने की रणनीति बनायी और भारी सफलता भी मिली. किशोर ने एक बार फिर अपनी कामयाबी का झंडा लहराया और नीतीश कुमार को बिहार की कमान संभालने में अहम भूमिका निभायी. जदयू नेता नीतीश कुमार के प्रतिद्वंद्वी नरेंद्र मोदी ने बिहार विस चुनाव में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था और कम से कम 31 चुनावी रैलियां संबोधित की जबकि सामान्यत: प्रधानमंत्री राज्य के चुनाव इतनी रैलियां नहीं करते हैं.
जिस चीज को छू लेते हैं, वह सोना बन जाती है
किशोर के बारे में एक कहावत है कि वह जिस किसी चीज को छू लेते हैं, वह सोना बन जाती है. लोकप्रिय ‘चाय पर चर्चा’ पहल की अवधारणा रचने और क्रियान्वित करने वाले किशोर (37) ने विकल्प ‘पर्चा पे चर्चा’ तैयार किया जिसके तहत नीतीश के चुनाव प्रबंधकों ने पिछले दशक में राज्य सरकार के प्रदर्शन पर लोगों से उनकी राय मांगी. बिहार विधानसभा चुनाव (2015) के दौरान किशोर की टोली को यह अहसास होने के बाद कि जदयू भाजपा से संसाधनों के मामले में नहीं टिक सकती, उसने ‘हर घर दस्तक’ रणनीति भी बनायी जिससे जदयू को जनसमूह से निजी संपर्क कायम करने में मदद मिली. जब शीर्ष भाजपा नेता हेलीकॉप्टर से पूरे बिहार की खाक छान रहे थे तब नीतीश कुमार और उनके पार्टी कार्यकर्ता सीधे संपर्क के तहत मतदाताओं के घर घर जाकर उनसे वोट मांग रहे थे. यह कहा जाता है कि किशोर की रणनीति के कारण ही नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता फिर से मिली.