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जेएनयू मामला : कन्हैया कुमार जेल से रिहा, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

नयी दिल्ली : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जेल से रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद भी पुलिस कन्हैया की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. कन्हैया रिहाई के बाद कहां जायेंगे इसकी जानकारी अबतक नहीं मिल पायी है. सूत्रों की मानें तो कन्हैया सबसे पहले जेएनयू ही जायेंगे.कल दिल्ली हाईकोर्ट ने […]

नयी दिल्ली : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जेल से रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद भी पुलिस कन्हैया की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. कन्हैया रिहाई के बाद कहां जायेंगे इसकी जानकारी अबतक नहीं मिल पायी है. सूत्रों की मानें तो कन्हैया सबसे पहले जेएनयू ही जायेंगे.कल दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दीथी, इसके बाद कागजी कार्रवाई पूरी होने का इंतजार किया जा रहा था. जमानत के लिएदस हजार के निजी मुचलके अदालत में जमा कर दिये गये थे.

हालांकि दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया था. कोर्ट ने उन मुख्य बिंदुओं पर सवाल करते हुए कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्या आपके पास कोई ऐसा वीडियो है जिसमें यह साबित होता है कि उन्होंने नारे लगाये.इस मामले पर पहले ही सुनवाई हुई थी कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कन्हैया की जमातन का फैसला कल दिया गया. जमानत मिलने के बाद भी कन्हैया की कल रिहाई नहीं हो सकी. जमानत के कागजात वकील को शाम 7 बजे उपलब्ध कराये गये ऐसे में अगर शाम 7 बजे से पहले कागजात पहुंचते , तो ही उन्हें छोड़ा जा सकता था इसी कारण उनकी रिहाई कल नहीं हो पायी.

आज कन्हैया की रिहाई की पूरी तैयारी कर ली गयी थी और उन्हें तिहाड़ जेल के गेट नंबर चार से बाहर निकाल दिया गया . दिल्ली पुलिस के वकील शैलेंद्र बब्बर ने कल इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा, इस मामले पर कहा कि अभी फाइनल जमानत नहीं दी गयी उन्हें छह महीने तक जमानत दी गयी है अगर जांच में कई और तथ्य सामने आते हैं तो उन पर एक्शन लिया जा सकता है. अंतरिम जमानत का ट्रेंड नया नहीं है गंभीर मामलों में इस तरह की जमानत मिलती है. हम पूरे आदेश को पढ़ने के बाद ही इस पर आगे एक्शन लेंगे.

कोर्ट ने इस बात पर गौर किया है कि आरोपी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई दोनों का ध्यान रखा है. न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने जेएनयू कैंपस के भीतर नौ फरवरी को हुए कार्यक्रम में भारत विरोधी नारेबाजी के आरोपों का सामना कर रहे कन्हैया की जमानत याचिका पर तीन घंटे तक सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई के दौरान कन्हैया के वकील ने कहा कि छात्र नेता ने देश के खिलाफ कभी नारेबाजी नहीं की जबकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि सबूत हैं कि उन्होंने और अन्य ने भारत विरोधी नारेबाजी की और वे अफजल गुरु के पोस्टर थामे हुए थे. पुलिस ने दावा किया था कि कन्हैया जांच में सहयोग नहीं कर रहे और खुफिया ब्यूरो (आईबी) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त पूछताछ में ‘‘विरोधाभासी’ बयान आए.
न्यायिक हिरासत में मौजूद कन्हैया ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के जरिये कहा कि परिसर के अंदर नकाबपोश लोगों ने भारत विरोधी नारे लगाए. अदालत ने पूछा कि क्या नारेबाजी की जगह कार्यक्रम से पहले और बाद की कोई समकालीन रिकार्डिंग है और भारत विरोधी नारेबाजी में उनकी ‘‘सक्रिय भूमिका’ को लेकर उनके खिलाफ सबूत दिखाने को कहा.
कन्हैया ने भी मामले में गिरफ्तार किये गए दो अन्य आरोपी उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य से अपने को अलग कर लिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कन्हैया को जमानत देने को अनुरोध किया . कन्हैया अभी न्यायिक हिरासत में तिहाड जेल में है. आईपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी :आपराधिक साजिश: के तहत दर्ज मामले में उन्हें 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया.

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