हैरानी होने लगती है कि राहुल कितना जानते हैं, वह कब जानेंगे : जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए उनकी परिपक्वता पर संदेह प्रकट किया और कहा कि जितना वह उन्हें सुनते हैं, उतना ही हैरान होने लगते हैं कि वह कितना जानते हैं और कब जानेंगे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वरिष्ठ मंत्रियों से सलाह-मशविरा नहीं करते, राहुल के इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2016 9:45 PM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए उनकी परिपक्वता पर संदेह प्रकट किया और कहा कि जितना वह उन्हें सुनते हैं, उतना ही हैरान होने लगते हैं कि वह कितना जानते हैं और कब जानेंगे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वरिष्ठ मंत्रियों से सलाह-मशविरा नहीं करते, राहुल के इस आरोप पर जवाब देते हुए जेटली ने फेसबुक पर टिप्पणी की कि मोदी न केवल कडी मेहनत करते हैं बल्कि सरकार के कई विभागों के कामकाज में खुद को शामिल करते हैं और अपनी टीम को भी परिश्रम के लिए प्रेरित करते हैं.

जेटली ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री पार्टी और सरकार के स्वाभाविक नेता होने चाहिये। राजग में ऐसा ही है. संप्रग में कुछ अलग बात थी। प्रधानमंत्री को मिसाल पेश करनी होती है.’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और खुद उनके समेत सभी मंत्री अपने अपने विभागों के महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जिम्मेदार हैं.
जेटली ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की उपेक्षा नहीं करते जो हमेशा सलाह और मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध हैं.’ राहुल गांधी ने दावा किया था कि पाकिस्तान की नीति पर सुषमा से सलाह नहीं ली जाती, राजनाथ सिंह को नगा शांति समझौते की जानकारी नहीं थी और जेटली को बजट प्रस्तावों का पता नहीं था. प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल के विचार एक ऐसे राजनीतिक दल के माहौल में तैयार होते हैं जिसमें एक परिवार के ईदगिर्द भीड जमा रहती है.
उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग का शासन का मॉडल यह था कि अगर परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री है तो उसे दिखावे मात्र का बना देना चाहिए। अगर एक सक्रिय प्रधानमंत्री या ‘नाममात्र’ के प्रधानमंत्री के बीच चुनने को कहा जाए तो मैं निसंकोच पहले विकल्प के साथ जाउंगा.’ राहुल के बयान पर चुटकी लेते हुए जेटली ने कहा, ‘‘जब कोई युवावस्था से अधेड उम्र की ओर बढता है तो हम निश्चित रुप से एक परिपक्वता के स्तर की अपेक्षा रखते हैं. जितना मैं राहुल गांधी को सुनता हूं, उतना ही हैरान होने लगता हूं कि वह कितना जानते हैं और वह कब जानेगे.’

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