गोशाला बनाने की मांग पर कांग्रेस और भाजपा के विधायक एकजुट

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विधायकों ने पार्टी लाइन से आगे बढकर राज्य सरकार से अपील की है कि वह इधर-उधर भटकने वालीं और परित्यक्त गायों के संरक्षण के लिए गोशाला बनाएं. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस संदर्भ में कदम उठाने का वादा किया है. यह मामला कल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 4, 2016 12:02 PM

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विधायकों ने पार्टी लाइन से आगे बढकर राज्य सरकार से अपील की है कि वह इधर-उधर भटकने वालीं और परित्यक्त गायों के संरक्षण के लिए गोशाला बनाएं. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस संदर्भ में कदम उठाने का वादा किया है. यह मामला कल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाया गया. सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने कहा कि लोगों में एक आम प्रवृति है कि जब मवेशी दूध देना बंद कर देते हैं, तो वे निकाल देते हैं. इन सदस्यों ने इस संदर्भ में कदम उठाने की मांग की. जवाब में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि ‘परित्यक्त गायों को ‘आवारा पशु’ कहना अपमानजनक है और यह उन लोगों की बीमार मानसिकता को दर्शाता है, जो गायों द्वारा दूध देना बंद कर दिए जाने पर उनका परित्याग कर देते हैं.’

उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि इन असहाय मवेशियों के साथ हर जगह बुरा बर्ताव होता है और कई बार ये दुर्घटनाओं में घायल हो जाते हैं और कई बार इनकी मौत भी हो जाती है. उन्होंने कहा, ‘उनकी स्थिति दयनीय है और सरकार ऐसे मवेशियों/गायों की सुरक्षा करेगी.’ एक सदस्य ने कहा कि दूसरे राज्यों से भी लोग भटकने वाले मवेशियों को सीमा पर लेकर आते हैं और फिर उन्हें हिमाचल में भेज देते हैं. इस पर वीरभद्र ने कहा कि ऐसे प्रवेश बिंदुओं पर विशेष ‘नाके’ स्थापित किए जाएंगे और ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

अधिकतर विधायकों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुरुप सभी 3226 पंचायतों में ‘गोसदन’ या गोशाला बनाने की वकालत की. लेकिन पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है और हमें ‘क्लस्टर’ की दिशा में बढना चाहिए. विक्रम जयराल (भाजपा) के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि हर पंचायत में गोसदन बनाने में 80 करोड रुपये का खर्च आएगा और अतिरिक्त 66 करोड रुपये इनके रखरखाव के लिए जरुरी होंगे.

सरकार इस मुद्दे से निपटने के लिए कुछ विकल्प तलाश रही है. यहां तक कि भटकने वाले मवेशियों के लिए एक अभयारण्य बनाना भी खराब विचार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पंचायतों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने मवेशियों को भटकने के लिए छोड देने वाले लोगों पर जुर्माना लगाएं. यहां तक कि विधायक महेश्वर सिंह ने भी एक कानून लागू करके दंडात्मक कदम उठाने के लिए कहा है.

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