सांसदों की विदेश यात्रा के लिए ताजा परामर्श जारी

नयी दिल्ली : राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी ताजा परामर्श में कहा गया है कि सांसदों को विदेशी संगठनों या व्यक्तियों द्वारा प्रायोजित किसी विदेश यात्रा पर जाते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘उनके किसी कार्य’ से ऐसा कोई संकेत नहीं जाए कि वे संसद की ओर से आधिकारिक यात्रा पर हैं. इसमें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2016 3:45 PM

नयी दिल्ली : राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी ताजा परामर्श में कहा गया है कि सांसदों को विदेशी संगठनों या व्यक्तियों द्वारा प्रायोजित किसी विदेश यात्रा पर जाते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘उनके किसी कार्य’ से ऐसा कोई संकेत नहीं जाए कि वे संसद की ओर से आधिकारिक यात्रा पर हैं.

इसमें यह भी कहा गया है कि आतिथ्य स्वीकार करने से पहले सदस्यों को पहले उस संगठन या संस्था की ‘विश्वसनीयता’ के बारे में संतुष्ट हो लेना चाहिए. परामर्श में कहा गया है कि सदस्यों को देरी से बचने के लिए विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने के बारे में यात्रा की तिथि से दो सप्ताह पहले गृह मंत्रालय को इस बारे में आवेदन भेजना चाहिए.
राज्यसभा के महासचिव शमशेर शेरिफ की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है, ‘‘ सदस्यों को विदेश यात्रा पर जाने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गृह मंत्रालय से जरुरी मंजूरी हासिल कर ली गई है क्योंकि केवल आवेदन भेजने से यह नहीं माना जायेगा कि उन्हें विधिक मंजूरी हासिल हो गई है. ” इसमें कहा गया है कि सांसदों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेश यात्रा पर जाने से पहले उन्हें विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी मिल गई है.
ऐसा ही एक परामर्श हाल ही में लोकसभा सदस्यों के लिए जारी किया गया था जो गृह मंत्रालय के आग्रह पर आधारित था. इसमें कहा गया था कि किसी दूसरे देश की सरकार, विदेशी संगठन समेत किसी भी विदेशी स्रोत से प्राप्त आमंत्रण के बारे में उम्मीद की जाती है कि वे विदेश मंत्रालय से होते हुए आगे बढें.
परामर्श में कहा गया है कि हालांकि अगर कोई निमंत्रण किसी सदस्य को सीधे प्राप्त हुआ हो तब सदस्योंं को सलाह दी जाती है कि वह इस विषय को विदेश मंत्रालय के संज्ञान में लायें और इस उद्देश्य के लिए मंत्रालय से जरुरी राजनीतिक मंजूरी प्राप्त करे. आवेदनकर्ता को मेजबान देश या संगठन से प्राप्त निमंत्रण पत्र की स्कैन की हुई प्रति संबंधित सरकारी विभाग के समक्ष प्रशासनिक मंजूरी के लिए पेश करनी चाहिए. ऐसी ही व्यवस्था न्यायाधीशों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों के लिए भी है.

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