नयीदिल्ली : सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने केलिए 2016-17 के बजटमें 70,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. हालांकि, बजटमें इसके आंकड़ाें के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन सरकार का कहना है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप बढोेतरी को इसमें शामिल किया गया है.
सरकार का कहना है कि विभिन्न मंत्रालयों के लिए अंतरिम आवंटन और बजट के आंकड़े विश्वसनीय हैं. यदि सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशाें को जस का तस लागू करती है तो उस पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का बोझपड़ेगा. अधिकारी ने बताया कि सातवें वेतन आयोग के लिए बजटमें करीब 70,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ‘‘जितना बोझ पड़ने की चर्चा हो रही है, उसमें से 60 से 70 प्रतिशत तक का हमने प्रावधान किया है.’
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें सातवें वेतन आयोग पर सचिवों की समिति की सिफारिशाें का इंतजार है. उसके बाद हम फैसलाकरेंगे कि और आवंटन करना है या नहीं.’ बजट दस्तावेजमें कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी, 2016 से लागू किया जाना है. इसके 2016-17 के वित्त वर्षमें क्रियान्वित किया जाएगा. इसके अलावा रक्षा सेवाआें के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना को भी लागू किया जाएगा.
अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने इसके लिए प्रावधान व्यक्तिगत विभागाें और मंत्रालयाें के लिए अनुदान मांगाेंमें किया है. इन्हें आवंटनमें समाहित किया गया है. अधिकारी ने कहा कि कोई नहीं जानता कि वेतन आयोग की सिफारिशाें के क्रियान्वयन से सरकार पर कितना बोझपड़ेगा. हमने इसकी आंतरिक स्तर पर गणना की है और उसी के हिसाब से मंत्रालयों और विभागाें को आवंटन किया है.