ईपीएफ कर प्रस्ताव पर लोगों की चिंता वाजिब : सिन्हा
नयी दिल्ली : सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की निकासी पर कर लगाने के प्रस्ताव को लोगों की चिंता को देखते हुए वापस लिया है. वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने आज कहा कि इस बारे में लोगों द्वारा उठाई गई चिंताएं वाजिब हैं. सिन्हा ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, […]
नयी दिल्ली : सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की निकासी पर कर लगाने के प्रस्ताव को लोगों की चिंता को देखते हुए वापस लिया है. वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने आज कहा कि इस बारे में लोगों द्वारा उठाई गई चिंताएं वाजिब हैं. सिन्हा ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘…हमने महसूस किया कि लोगों को सेवा पश्चात आय की ओर ले जाने दिशा दिखाने के साथ वास्तव में इससे ऐसी स्थिति बनी जबकि ज्यादातर लोगों को लगा कि 60 प्रतिशत ईपीएफ कोष की निकासी पर अंकुश एक तरह से उनकी सेवानिवृत्ति योजना का लचीलापन खत्म कर रही है.
यह उठायी गयी एक बहुत जायज चिंता थी.” सिन्हा ने कहा कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य वेतनभोगी वर्ग को पेंशन के संदर्भ में और लाभ प्रदान करना था.” इस प्रस्ताव पर चौतरफा हमले के मद्देनजर वित्त मंत्री अरण जेटली ने इसे पूरी तरह वापस ले लिया है. बजट 2016-17 में वित्त मंत्री ने 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ में किए गए योगदान के 60 प्रतिशत कोष पर निकासी के समय कर लगाने का प्रस्ताव किया था. उन्होंने प्रस्ताव किया था कि यदि इस राशि को पेंशन एन्यूटी योजना में निवेश किया जाता है, तो इस पर आयकर छूट मिलेगी. मंत्री ने कहा कि सरकार उन लोगों के लिए काम करना चाहती है, जो सेवानिवृत्ति के लिए बचत कर रहे हैं.
वित्त राज्यमंत्री सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो भी सेवानिवृत्ति के लिए बचत कर रहा है सरकार उसके साथ है. सरकार आपको प्रोत्साहन और अवसर देना चाहती है, इसी वजह से हमने ईपीएफ में संशोधन किया है.” उन्होंने कहा कि निकासी के समय ईपीएफ पर कर लगाने के प्रस्ताव का मकसद देश में पेंशन प्रणाली को मजबूत करना था और साथ ही ईपीएफ और एनपीएस को बराबरी पर लाना है. इससे हमारे वेतनभोगी वर्ग को दोनों के बीच से चयन का विकल्प मिलता. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे कर राजस्व बढाने का मकसद कतई नहीं था.