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जनता की बात सुनने को बाध्य हुई सरकार :राहुल गांधी

नयी दिल्ली : सरकार के कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर कर लगाने के प्रस्ताव को वापस लिये जाने के बाद राहुल गांधी ने आज नये सिरे से हमला करते हुए कहा कि मध्यम वर्ग के सुरक्षा हितों पर कर लगाने का प्रयास नैतिक रुप से गलत था. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ट्वीट में कहा कि सरकार […]

नयी दिल्ली : सरकार के कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर कर लगाने के प्रस्ताव को वापस लिये जाने के बाद राहुल गांधी ने आज नये सिरे से हमला करते हुए कहा कि मध्यम वर्ग के सुरक्षा हितों पर कर लगाने का प्रयास नैतिक रुप से गलत था. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ट्वीट में कहा कि सरकार जनता की आवाज सुनने के लिए और ईपीएफ पर अनुचित कर के प्रस्ताव को वापस लेने पर मजबूर हुई.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘लेकिन कडी मेहनत करने वाले लाखों मध्यम वर्ग के लोगों के सुरक्षा हितों पर कर की कोशिश नैतिक रुप से गलत थी और सरकार की जन विरोधी सोच को दिखाती है.” चारों ओर हमलों से घिरे वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज इस विवादास्पद प्रस्ताव को पूरी तरह वापस ले लिया.
जेटली ने 2016-17 के बजट प्रस्ताव में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की कुल राशि का 60 प्रतिशत निकालने पर कर लगाने की बात कही थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में स्वत: संज्ञान लेते हुए दिये अपने बयान में कहा, ‘‘हमें मिले कई ज्ञापनों के मद्देनजर सरकार इस प्रस्ताव की समग्र समीक्षा करना चाहती है और इसलिए इस प्रस्ताव को वापस लेती है. ” कांग्रेस ने इसे देश की जनता की बडी जीत बताते हुए कहा कि मोदी एक बार फिर राहुल गांधी के दबाव में झुक गये.
कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी एक बार फिर राहुल गांधी के कार्यालय, जो आम आदमी के लिए संघर्ष कर रहा है, की ओर से बने दबाव के आगे तेजी से झुक गये।” पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार वेतनभोगी वर्ग के देशव्यापी विरोध के मद्देनजर जनविरोधी कदमों को वापस लेने के लिए बाध्य हुई। यह जनता की बडी जीत है.”

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