राज्यसभा में कांग्रेस हुई गरम कहा- माल्या कोई ‘सुई” नहीं…

नयी दिल्ली : उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड कर जाने का मामला आज राज्यसभा में उठा जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. माल्या के देश छोड़कर भागने के पीछे आपराधिक षड्यंत्र होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि इस मामले में सरकार को एक पक्ष बनाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2016 1:47 PM

नयी दिल्ली : उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड कर जाने का मामला आज राज्यसभा में उठा जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. माल्या के देश छोड़कर भागने के पीछे आपराधिक षड्यंत्र होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि इस मामले में सरकार को एक पक्ष बनाया जाना चाहिए जबकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुख्य विपक्षी दल पर पलटवार करते हुए कहा कि माल्या को रिण सुविधाएं संप्रग सरकार के शासनकाल में दी गयी थी.

राज्यसभा में आज बैठक शुरू होने पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा ‘‘इस सरकार पर मेरा आरोप है कि माल्या के खिलाफ चार-चार एजेंसियां (प्रवर्तन निदेशालय, सेबी, एसएफआईओ :गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय: और सीबीआई) जांच कर रही थीं तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, उनका पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं किया गया ?” आजाद ने कहा कि हर व्यक्ति जानता था कि माल्या किसी भी दिन देश छोड कर भाग सकते हैं तो जांच एजेंसियों को उनका पासपोर्ट जब्त कर लेना चाहिए था और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि माल्या विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और कई देशों में उनके ठिकाने हैं. फिर भी समय रहते कदम नहीं उठाए गए. उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले इसी सदन में आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के देश छोड कर जाने का मुद्दा उठाया गया था और उन्हें तथा उनके कथित काले धन को वापस लाने की मांग की गई थी. वह वापस नहीं लौटै और लोग भूल भी गए.

अब माल्या का मामला सामने है. उन्होंने कहा कि माल्या कोई ‘सुई’ नहीं हैं और पूरे लावलश्कर के साथ चलते हैं. ताज्जुब की बात यह है कि वह हवाईअड्डे पर किसी को नजर नहीं आए और किस तरह देश छोड कर चले गए जबकि सीबीआई ने उनके खिलाफ ‘‘लुक आउट नोटिस” जारी किया है. उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि माल्या के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया लेकिन वह देश से भाग गए. विपक्ष के नेता ने कहा कि रिणदाता बैंक किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं थे. माल्या के मामले में जो भी शामिल हो, उसके खिलाफ भी कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्होंने ललित मोदी मामले का जिक्र इसलिए किया था ताकि सबक लेते हुए समय रहते सतर्कता बरती जाती और माल्या देश से बाहर नहीं जा पाते. इस पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कटाक्ष किया कि विपक्षी दल को यह बताना चाहिए कि पूर्व इतालवी कारोबारी और बोफोर्स तोप सौदा मामले में आरोपी रहे ओतावियो क्वात्रोची कैसे देश छोड कर गए थे. जदयू के शरद यादव ने कहा कि विजय माल्या का उदाहरण बताता है कि देश में कानून पैसे वालांे का कुछ नहीं बिगाड सकता.

कांग्रेस के ही जयराम रमेश ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विजय माल्या के मामले में बैंकों ने 28 फरवरी को वकीलों से बात की जिन्होंने बैंकों को 29 फरवरी को याचिका दाखिल करने को कहा। लेकिन याचिका पांच मार्च तक दाखिल नहीं की गई और माल्या देश छोड कर चलते बने. रमेश ने कहा कि इस बारे में कल पता चला है और वकीलों के नाम भी सामने आए हैं. मुद्दा यह है कि बैंकों को अदालत जाने में देर क्यों हुई। उन्होंने कहा ‘‘यह मुद्दा नहीं है कि रिण किसने दिया, या माल्या भारत से कैसे गए। मुद्दा यह है कि बैंकों को अदालत जाने में देर क्यों हुई ? सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।” सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि संसद सदस्य बनने के लिए संविधान में नियम तय हैं जिनके अनुसार, ऐसा व्यक्ति ही संसद के लिए चुना जा सकता है जो दिवालिया न हो, भगोडा न हो और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त न रहा हो। माल्या का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि यह नियम तोडने पर मामला आचार समिति के पास भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि माल्या के मामले में तो नौ हजार करोड रुपये से अधिक की देनदारी है.

इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने सहमति जताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संविधानिक परंपरा का पूरी तरह पालन हो और नियमों का उल्लंघन न होने पाए.

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