राज्यसभा में रियल एस्टेट बिल पास, आपके घर के सपने को मिलेगी सुरक्षा
नयी दिल्ली : आज राज्यसभा में रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने ट्वीट करके कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है जब रियल एस्टेट बिल पास हो गया है. राज्यसभा में बिल के पास होने के बाद यह उम्मीद बढ़ गयी […]
नयी दिल्ली : आज राज्यसभा में रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने ट्वीट करके कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है जब रियल एस्टेट बिल पास हो गया है. राज्यसभा में बिल के पास होने के बाद यह उम्मीद बढ़ गयी है कि अब यह बिल लोकसभा में भी आसानी से पास हो गयी जहां सरकार को बहुमत हासिल है.
इस बिल में कई ऐसी खास बातें है जिससे आम खरीदार को मदद मिलेगी. इस बिल के माध्यम से आम लोगों को बिल्डरों की मनमानी करने से रोक लगायी जा सकती है. आइये जानते हैं ऐसी क्या खास बात है इस बिल में जिससे सिर्फ आपका घर खरीदना होगा ब्लकि आपको धोखाधड़ी से भी सुरक्षा मिलेगी.
धोखाधड़ी करने वालों को तीन साल की सजा
इस बिल में आम लोगों के घर खरीदने के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. नये कानून के हिसाब से घर खरीदने वाले के साथ अगर बिल्डर धोखाधड़ी करता है तो उसे जुर्माना के साथ तीन साल की सजा हो सकती है. इस बिल के पास होने के बाद सेंट्रल रेग्युलेटर रियल एस्टेट को रेगुलेट करेगा. इसके अलावा सेंट्रल रेग्युलेटर प्रत्येक राज्यों के रेग्युलेटर की देख-रेख करेगा और उनके कामों की समीक्षा करेगा साथ ही इसका ध्यान रखेगा कि ग्राहकों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो.
घर देने में देरी होने पर बिल्डर को देना होगा जुर्माना
बिल्डर को हर नये प्रोजेक्ट के लिए एक एस्क्रो अकाउंट खोलना होगा, जिसमें उस प्रोजेक्ट की खर्च का 70 फीसदी पैसा जमा करना होगा. इस पैसे का इस्तेमाल किसी दूसरे काम में नहीं किया जा सकेगा और खर्च का हिसाब देना होगा. इसके अलावा अगर घर देने में बिल्डर देरी करता है कंस्ट्रक्शन में कमी यो दोष पाया जाता है घर बनाने वाले बिल्डर को ब्याज और जुर्माना दोनो देना होगा. अगर घर खरीदने वाले के साथ कोई धोखाधड़ी होती है बिल्डर को जुर्माने के साथ तीन साल की सजा हो सकती है.
छोटे बिल्डर भी आयेंगे इस दायरे में
इस कानून के तहत अब 500 वर्ग मीटर यानी आठ प्लैट का प्रोजेक्ट बनाने वाले बिल्डर भी दायरे में आयेंगे. पहले यह 1000 वर्ग मीटर था जिसे अब कम कर दिया गया. इसके अलावा डेवलपर को प्रोजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं कॉरपेट एरिया पर करनी होगी. डेवलपर को प्रोजेक्ट का पजेशन देने के तीन महीने के अंदर रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन को हैंड ओवर करना होगा.