नयी दिल्ली : बैंकों के हजारों करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्टरव मनी लाउंड्रिंग के आरोपी उद्योगपति विजय माल्या के बारे में नया खुलासा हुआ है. सीबीआइके लुकआउट नोटिस के स्टेट्स मेंऐसे बदलाव किये गये, जो माल्या के लिए सुविधाजनक हो गयी और वे विदेश निकल लिये. सीबीआइ ने नोटिस जारी करने के एक महीने के भीतर ही उन्हें देश से बाहर जाने के दौरान हिरासत में लेने से बदलकर सिर्फ उनकी यात्रा की योजना के बारे में जानकारी देने तक सीमित कर दिया था.कहा जा रहा है कि विजय माल्या जब देश छोड़ कर जा रहे थे तब उनके साथ एक महिला भी थीं व सात बैग थे.
इस शीर्ष जांच एजेंसी पर पहले ही माल्या के खिलाफ नरमी दिखाने का आरोप लग रहा था. माल्या के खिलाफ आइडीबीआइ बैंक के 900 करोड़ रुपये के लोन डिफाल्ट मामले में सीबीआइ जांच कर रही है. सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ ने 16 अक्तूबर, 2015 को लुक आउट नोटिस जारी कर कहा था कि अगर माल्या देश से बाहर जाने की कोशिश करें, तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाये. लेकिन, इसके करीब एक महीने बाद लुकआउट नोटिस के स्टेट्स में बदलाव किये गये और इसमें कहा गया कि अगर विजय माल्या देश से बाहर जाना चाहें तो सीबीआइ को जानकारी दी जाये और यह बताया जाये कि वे कहां गये हैं.
16 अक्तूबर,2015को जारी लुकआउट नोटिस के बाद माल्या चार बार विदेश गये. वे अक्तूबर में गये थे और नवंबर में आये. इसके अलावा दिसंबर के पहले व आखिरी हफ्तेमें वे दो बार विदेशगये.दो मार्च कोकथित रूप से लंदन जाने से पहले भी वे जनवरी में विदेश गये थे और लौटे थे.
नियमत: निगरानी या लुकआउट नोटिस जो एजेंसी जारी करती है, उसके कहे अनुसार ही आव्रजन ब्यूरो संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेता है या विमान पकड़ने से रोकने के लिए कहता है. जब उस एजेंसी को ऐसे निर्देश नहीं दिये गये तो वह क्या करे?
सूत्रों का कहना है कि माल्या जांच में सहयोग कर रहे थे और सवालों का जवाब देने को उपस्थित हो रहे थे, इसीलिए उनका पासपोर्ट जब्त करने काे नहीं कहा गया. सीबीआइ सूत्रों ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के हवाले से कहा है कि किसी व्यक्ति का पासपोर्ट तभी जब्त किया जा सकता है, जब उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया हो या फिर उस पर कोई मुकदमा चल रहा हो.
सूत्रों के अनुसार, ऐसे में जब वह सहयोग कर रहे थे तो उन्हें विदेश जाने से रोकने का सवाल नहीं उठता है. लुक आउट नोटिस जारी होने के बाद वे नौ से 12 दिसंबर, 2015 तक तीन बार सवालों का जवाब देने के लिए पेश हुए. एजेंसी उनके देश से बाहर आने-जाने पर नजर रख रही थी और उसने इसलिए किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि वह हर बार देश लौट आते थे.
ध्यान रहे कि इससे पहले यह भी खबर आ चुकी है कि माल्या के आइडीबीआइ लोन मामले की जांच से जुड़ी सीबीआइ की एक इंसपेक्टरवर्षा वर्मा ने दूसरे देश धन भेजे जानेकामामला कह करसंबंधित देशों को अनुरोध पत्र भेजने को कहा था, लेकिन सीबीआइ उनके आग्रहकेआठ महीनेबादभी पत्र नहीं भेज सकी.