सरकार बनाने को तैयार आप, शीला ने कहा, समर्थन वापसी का विकल्प खुला है
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो सप्ताह से चले आ रहे गतिरोध और अनिश्चितता को समाप्त करते हुए अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी ने आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला किया. कांग्रेस आम आदमी पार्टी को पहले ही बिना शर्त समर्थन की […]
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद दो सप्ताह से चले आ रहे गतिरोध और अनिश्चितता को समाप्त करते हुए अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी ने आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला किया. कांग्रेस आम आदमी पार्टी को पहले ही बिना शर्त समर्थन की बात कर चुकी है. कांग्रेस ने उपराज्यपाल को समर्थन की चिट्ठी पहले ही सौंप दी थी. दिल्ली की पूर्वमुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस ने बाहर से समर्थन की बात कही थी हमारे पास समर्थन वापस लेने का विकल्प खुला है.
दिल्ली विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पिछले 15 साल से राष्ट्रीय राजधानी में शासन करने वाली कांग्रेस के समर्थन से इस सप्ताह सरकार बनाने जा रहे हैं.भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी 45 वर्षीय केजरीवाल ने आज उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की और उन्हें सरकार बनाने के दावे वाला पत्र सौंपा.इससे पहले आप की राजनीतिक मामलों की समिति ने आज सुबह बैठक करके सरकार बनाने का औपचारिक फैसला किया.
जंग ने मुलाकात के दौरान केजरीवाल से कहा कि शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा फैसला किये जाने के बाद तय होगा.
आप ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से बाहर से समर्थन हासिल करने का फैसला किया है जिसे उसने चार दिसंबर के विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर समेट दिया था.
सरकार बनाने को लेकर आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने उप राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की और उन्हें पत्र शौंपा है. उन्होंने संकेत दिया है कि रामलीला मैदान में ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की एक बैठक में आप ने सरकार बनाने का फैसला किया. बैठक में इस मुद्दे को लेकर पिछले कुछ दिनों में कराए गए जनमत संग्रह के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद यह फैसला लिया.यदि उप राज्यपाल ने आप को सरकार बनाने की अनुमति दी तो, 70 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटों पर पार्टी की शानदार जीत के अगुवा अरविंद केजरीवाल दिल्ली के नए मुख्यमंत्री होंगे. पार्टी नेता मनीष सिसौदिया ने यह जानकारी दी.
केजरीवाल ने कहा, उप राज्यपाल ने 14 दिसंबर को सरकार गठन पर विचार विमर्श करने के लिए हमें बुलाया था. हमने फैसला करने के लिए समय मांगा था क्योंकि हमारी पार्टी आम आदमी की पार्टी है और हम उनके विचार लेना चाहते थे.केजरीवाल ने यहां कौशाम्बी में संवाददाताओं को बताया, हमें वेबसाइट, फोन काल्स, एसएमएस और जनसभाओं के माध्यम से जनता का जवाब मिला और उनमें से अधिकतर ने आप द्वारा सरकार बनाए जाने का समर्थन किया. उन्होंने बताया कि पार्टी ने दिल्ली भर में 280 सभाएं की और ऐसी 257 सभाओं में उपस्थित लोगों ने पार्टी द्वारा सरकार बनाने का पक्ष लिया जबकि बाकी की राय थी कि इन्हें सत्ता हासिल नहीं करनी चाहिए.
विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद, आप ने यह कहते हुए सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी का समर्थन लेने से इनकार किया था कि वह सृजनात्मक विपक्ष की भूमिका अदा करेगी.
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में कोई भ्रम नहीं होने की बात कहते हुए सिसौदिया ने कहा कि इस शीर्ष पद के लिए केजरीवाल पार्टी की पसंद हैं. सिसौदिया ने कहा, इस बारे में अफवाहें थीं कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. आप ने पहले ही कहा था कि पार्टी अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताते हुए चुनाव लड़ेगी. इसके बाद हमने अपने घोषणापत्र में भी यह दोहराया था. चुनाव परिणाम आने के बाद, उन्हें पार्टी के विधायी दल का नेता चुना गया. इसलिए अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री होंगे.
इस मुद्दे पर जनसभाएं करने को लेकर हुई आलोचना के बारे में केजरीवाल ने कहा कि अन्य दलों के विपरीत, आप महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता की भागीदारी चाहती है और वास्तविक लोकतंत्र लाना चाहती है.गौरतलब है कि दिल्ली में आठ दिसंबर को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद से सरकार बनाने के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ था. आप के पास 28 सीटें हैं और आठ सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस आप को बाहर से समर्थन देने पर राजी हो गयी है. 31 सीटेहासिल कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
आम आदमी पार्टी का उदय
विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी आप का गठन औपचारिक रुप से 26 नवंबर 2012 को किया गया था. लोकप्रिय इंडिया अगेन्स्ट करप्शन (आईएसी) का राजनीतिकरण करने या नहीं करने के मुद्दे को लेकर केजरीवाल और हजारे के बीच मतभेदों के चलते आप अस्तित्व में आयी थी. आईएसी आंदोलन को वर्ष 2011 से जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर शुरु किया गया था.
हजारे चाहते थे कि आंदोलन को गैर राजनीतिक रखा जाए जबकि केजरीवाल चाहते थे कि आंदोलन का रास्ता विफल होने से सीधे राजनीतिक हिस्सेदारी जरुरी हो गयी है. आप ने अपने गठन के बाद से ही बहुत से विरोध प्रदर्शन किए. इनमें दिल्ली में बिजली पानी की कीमतों में वृद्धि के लिए सरकार और निजी कॉरपोरेट के बीच कथित साठगांठ के खिलाफ उसका आंदोलन मुख्य था. इसके साथ ही पार्टी ने यौन उत्पीड़न तथा बलात्कार के मामलों में पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग तथा इस संबंध में कड़ा बलात्कार विरोधी कानून लागू किए जाने की मांग भी प्रमुखता से उठायी.
हजारे और केजरीवाल ने 19 सितंबर 2012 को सार्वजनिक कर दिया था कि राजनीति में भूमिका के संबंध में उनके मतभेदों को अब सुलझाया नहीं जा सकता. केजरीवाल को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल कई जाने माने लोगों का समर्थन प्राप्त था जिनमें प्रशांत भूषण और शांति भूषण शामिल थे. लेकिन किरण बेदी और संतोष हेगड़े जैसे कुछ लोग उनका विरोध भी कर रहे थे.
पवित्र कर्म है राजनीति
केजरीवाल ने कहा कि राजनीति बहुत पवित्र कर्म है. राजनीति सरदार पटेल ने की थी, भीमराव आंबेडकर ने की. पहले कोई नेता बनता था, तो कहते थे कि देश की सेवा कर रहा है. आज कांग्रेस और भाजपावालों ने राजनीति को बदनाम कर दिया है. ये लोग राजनीति नहीं करते, दलाली करते हैं.
भाजपा ने कहा आप-कांग्रेस की सरकार जनता के साथ विश्वासघात
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष डॉ हर्षवर्धन ने आप और कांग्रेस पार्टी गठबंधन सरकार को जनता के साथ विश्वासघात बताया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव पूर्व कहा था कि कोई भी पार्टी से गठजोड़ नहीं करेंगे तो अगर सरकार बनती है तो यह दिल्ली की जनता के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात होगा.
अच्छा काम करे तो 5 साल समर्थन : कांग्रेस
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने आम आदमी पार्टी के साथ बनने जा रही सरकार के बारे में कहा, अगर सरकार अच्छा काम करेगी तो 5 साल तक आप को समर्थन देंगे. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी ने आप को बाहर से समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार आप की है और दिल्ली की जनता को किये बादे पूरा करना अब उनकी जिम्मेदारी होगी.