जावेद अख्तर ने ओवैसी को पढ़ाया पाठ, राज्यसभा में बोले भारत माता की जय
नयीदिल्ली : राज्यसभा से विदायी ले रहे मनोनीत सदस्य जावेद अख्तर ने आज देश के मौजूदा हालात पर गहरी चिंता जताते हुए जहां लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर जबरदस्त हमला बोला वहीं सत्तारूढ़ भाजपा से अपने विधायकों, सांसदों एवं मंत्रियों पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले बयान देने से लगाम लगाने को कहा. उन्होंने ‘भारत माता […]
नयीदिल्ली : राज्यसभा से विदायी ले रहे मनोनीत सदस्य जावेद अख्तर ने आज देश के मौजूदा हालात पर गहरी चिंता जताते हुए जहां लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर जबरदस्त हमला बोला वहीं सत्तारूढ़ भाजपा से अपने विधायकों, सांसदों एवं मंत्रियों पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले बयान देने से लगाम लगाने को कहा. उन्होंने ‘भारत माता की जय’ बोलने से इनकार करने वाले ओवैसी के बयान पर विरोध जताते हुए सदन में तीन बार ‘‘भारत माता की जय’ कहा. अख्तर ने अपने विदायी संबोधन में ओवैसी का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला और कहा कि आंध्र प्रदेश में एक शख्स हैं जिन्हें गुमान हो गया है कि वह राष्ट्रीय नेता हैं जिनकी हैसियत एक शहर या एक मुहल्ले से ज्यादा नहीं है. वह कहते हैं कि वह किसी भी कीमत पर ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे क्योंकि यह संविधान में नहीं लिखा है.
शेरवानी और टोपी पहनने वाले लोकसभा के इस सदस्य पर प्रहार जारी रखते हुए अख्तर ने कहा कि वह बताएं कि संविधान में शेरवानी और टोपी पहनने की बात कहां लिखी है.
उन्होंने कहा, ‘‘बात यह नहीं है कि भारत माता की जय बोलना मेरा कर्तव्य है या नहीं, बात यह है कि भारत माता की जय बोलना मेरा अधिकार है.’ अख्तर ने कहा, ‘‘मैं कहता हूं – भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय.’ इस पर उच्च सदन सदस्यों की तालियों की गड़गड़ाहट सेगूंज उठा. इसके साथ ही उन्होंने सत्ता पक्ष को भी परोक्ष निशाने पर लिया और कहा कि देश में ध्रुवीकरण और धार्मिक कट्टरता फैलाने की कोशिशों को भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा से कहा कि वह अपने उन विधायकों, सांसदों, राज्य मंत्रियाें और मंत्रियों तक को रोके जो नफरत फैलाने वाले बयान देते हैं.
अख्तर ने कहा कि देश में लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं जिन्हें कोई उखाड़ नहीं सकता, लेकिन लोकतंत्र तभी है जब धर्मनिरपेक्षता है. लोकतंत्र धर्मनिरपेक्षता के बिना नहीं रह सकता. देश में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की कोई स्थायी परिभाषा नहीं बनायी जा सकती. यदि इसकी स्थाई परिभाषा बना दी गयी तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जिन देशों में धर्म का बोलबाला है, जहां धर्म के खिलाफ बोलने पर फांसी दे दी जाती है, उन देशों को देखिए कि वे कहां चले गए. क्या हम ऐसे देशों का अनुकरण करेंगे.
अख्तर ने कहा कि कुछ लोग एक नारा लगाते हैं, ‘‘मुसलमान के दो स्थान, कब्रिस्तान या पाकिस्तान’ जिसे हरगिज स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि नफरत फैलाने वालों को काबू में किया जाना चाहिए. बीच में उनसे जब सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि मजबूरी में उनकी नजरघड़ी की तरफ है तो अख्तर ने कहा, ‘‘यह मैं भी मानता हूं कि वक्त अच्छा नहीं है.’ इस पर सदन ठहाकों से गूंज उठा.
उन्होंने साथ ही विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही में बाधा डाले जाने की प्रवृत्ति से लोकतंत्र को मजबूती नहीं मिलेगी. अख्तर ने कहा कि विपक्ष और सरकार दोनों सोचें कि न तो देश में स्थगन :सदन में: चलेगा और न ही ध्रुवीकरण चलेगा.