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बाहरी लोगों ने जेएनयू में लगाए थे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे

नयी दिल्ली : जेएनयू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगाने वालों के संबंध में एक उच्च स्तरीय जांच समिति ने कहा है कि विश्वविद्यालय परिसर में विवादास्पद कार्यक्रम में नारेबाजी बाहरी लोगों के द्वारा की गई थी. इन नारों में ‘भारत को रगडा दो रगडा’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ समेत भडकाऊ नारे शामिल हैं. इन नारों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2016 1:49 PM

नयी दिल्ली : जेएनयू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगाने वालों के संबंध में एक उच्च स्तरीय जांच समिति ने कहा है कि विश्वविद्यालय परिसर में विवादास्पद कार्यक्रम में नारेबाजी बाहरी लोगों के द्वारा की गई थी. इन नारों में ‘भारत को रगडा दो रगडा’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ समेत भडकाऊ नारे शामिल हैं. इन नारों को लगाने वाले बाहरी लोगों ने चेहरे पर स्कार्फ बांध रखे थे और अपने सिर और चेहरे को उन्होंने ढक लिया था.

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ फरवरी को हुए कार्यक्रम की वीडियो फुटेज में कोई भी ‘‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी’ के नारे लगाता नहीं दिख रहा है लेकिन इसमें दावा किया गया है कि प्रत्यक्षदर्शियों ने अपनी गवाही में ऐसे नारे लगाए जाने की पुष्टि की है. रिपोर्ट में कार्यक्रम में ‘‘भारत के टुकडे टुकडे कर दो’ का विवादास्पद नारा लगाए जाने का कोई जिक्र नहीं है. विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर राकेश भटनागर की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय पैनल द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि छात्रों ने बाहरी लोगों को उपस्थित रहने और भडकाउ नारे लगाने की अनुमति दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमति रद्द किए जाने के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करना ‘‘जानबूझकर अवज्ञा करने’ के बराबर है. पैनल ने विश्वविद्यालय की सुरक्षा इकाई की ओर से भी हुई चूक का जिक्र किया. उसने कहा कि उसने बाहर के लोगों को नारे लगाने से रोकने और उन्हें परिसर से जाने से रोकने का कोई प्रयास नहीं किए.

भडकाऊ नारेबाजी से माहौल गर्म

समिति ने कहा कि हालांकि जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार देर से परिसर में पहुंचे थे लेकिन उन्होंने अनुमति रद्द किए जाने के अधिकारियों के निर्णय पर आपत्ति जताई थी. कन्हैया को कार्यक्रम के संबंध में देशद्रोह का आरोपी बनाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों में से एक के रुप में चिह्नित किए गए उमर खालिद ने अधिकारियों से कहा था कि वे कार्यक्रम आयोजित करेंगे और ‘‘सुरक्षा इकाई जो चाहे, वह कर सकती है.” रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘सुरक्षा कर्मियों ने बाहरी लोगों के समूह की मौजूदगी देखी थी और कई अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने इस बात की पुष्टि की है. बाहरी लोगों के इस समूह ने अधिकतर समय कपडे:स्कार्फ से अपने सिर और चेहरे ढक रखे थे.” इसमें कहा गया है, ‘‘लोगों के इस समूह ने ‘कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी, जंग रहेगी’, ‘भारत को रगडा दो रगडा… जोर से रगडा’, ‘गो इंडिया गो बैक’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए.” रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में एक छात्र को भी नारेबाजी करते देखा गया है. इसमें कहा गया है, ‘‘आयोजकों ने कार्यक्रम आयोजित नहीं करने के प्रशासन के आदेश की अवहेलना की। यह जानबूझकर अवज्ञा करने के बराबर है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आयोजकों ने बाहरी लोगों के समूह को कार्यक्रम में हावी होने की अनुमति दी जिन्होंने भडकाऊ नारेबाजी करके माहौल गर्म कर दिया.” रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बाहरी लोगों के इस कृत्य ने पूरे जेएनयू समुदाय को बदनाम किया है.”

जेएनयूएसयू के किसी पदाधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई

रिपोर्ट में दो वर्ग हैं- निष्कर्ष एवं सिफारिश. जांच में पूरे विवाद के चार बडे पहलुओं- समारोह, प्रदर्शन, नारेबाजी और प्रशासन की ओर से खामियों को सामने लाया गया है. विश्वविद्यालय ने निष्कर्ष के भाग को उन 21 छात्रों के साथ साझा किया है जिन्हें इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था लेकिन सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है. विश्वविद्यालय के उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि 11 मार्च को रिपोर्ट जमा कराने वाले पैनल ने देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत पांच छात्रों को निष्कासित किए जाने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति ने यह भी कहा कि जेएनयूएसयू के किसी पदाधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई. उन्हें अपने पद के अनुरुप और अधिक संयम एवं सावधानी के साथ व्यवहार करना चाहिए था.” इसमें कहा गया है, ‘‘ उन्हें राजनीति और अन्य मतभेदों से उपर उठने की आवश्यकता है क्योंकि वे छात्र समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. छात्र प्रतिनिधियों के लिए नियम विरुद्ध आचरण में शामिल पाया जाना या इसे नजरअंदाज करना अनुचित है.” हालांकि पैनल ने झूठा कारण बताकर विश्वविद्यालय से अनुमति लेने के दोषी कुछ छात्रों की पहचान की है, लेकिन उसने यह भी कहा कि डीन ऑफ स्टूडेंट्स :डीओएस: को मुख्य सुरक्षा अधिकारी को एसएमएस भेजकर नहीं बल्कि लिखित में अनुमति रद्द करनी चाहिए.

2015 में भी हुआ था यह कार्यक्रम

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ यह उल्लेखनीय है कि क्योंकि यह कार्यक्रम 2015 में भी हुआ था, डीन का कार्यालय इस कार्यक्रम को रोकने के लिए पर्याप्त रुप से सतर्क नहीं रहा. सुरक्षा ने बाहरी लोगों को भडकाऊ नारे लगाने से रोकने और उन्हें परिसर से जाने से रोकने के कोई प्रयास नहीं किए.” इसमें कहा गया है, ‘‘ प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के अनुसार आयोजन का विरोध करने वाले जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा के नेतृत्व में एबीवीपी के सदस्य दूसरे पक्ष के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.” पैनल द्वारा शर्मा को ‘‘यातायात बाधित करके विश्वविद्यालय नियमों का उल्लंघन” करने का दोषी पाए जाने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया है. संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में आयोजित समारोह की जांच के लिए 10 फरवरी को समिति गठित की गई थी. कन्हैया को देशद्रोह के मामले में जहां अंतरिम जमानत मिल चुकी है, वहीं उमर और अनिर्बान अब भी न्यायिक हिरासत में हैं.

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