राजे ने कहा, सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी

जयपुर: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि उनकी सरकार विकास के विजन को लेकर आगे बढ़ने में विश्वास करती है न कि पिछली सरकार की तरह कमियां निकालकर बदले की भावना से काम करने में. राजे ने राजस्थान विजन 2020 प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट किया कि हमें प्रदेश के विकास के लिए दिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2013 8:22 PM

जयपुर: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि उनकी सरकार विकास के विजन को लेकर आगे बढ़ने में विश्वास करती है न कि पिछली सरकार की तरह कमियां निकालकर बदले की भावना से काम करने में.

राजे ने राजस्थान विजन 2020 प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट किया कि हमें प्रदेश के विकास के लिए दिन रात मेहनत करके उसे देश के अग्रणी राज्यो की पंक्ति में खड़ा करना है , इसलिए पिछली सरकार की तरह माथुर आयोग की तरह कोई आयोग गठित कर सरकार का वक्त जाया नहीं करेंगे.उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में जो नियम कानून बने हैं उनके तहत ही ऐसे मामलों में कार्यवाही की जाएगी. प्रगतिशील सोच और कड़ी मेहनत करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा.

राजे ने कहा कि अपराधों पर नियंत्रण कर कानून व्यवस्था को बनाए रखना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी. कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. अपराध किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं होगें.राजे ने कहा कि कानून-व्यवस्था जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर 28 दिसम्बर को अलग से बैठक की जाकर विस्तृत विचार विमर्श किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था के लिहाज से प्रदेश में पिछले पांच साल बहुत ही खराब रहे. उन्होंने कहा कि शांत वातावरण के अभाव में न तो विभिन्न समुदाय के लोग शांति और सद्भाव से रह सकते हैं और न ही ऐसे वातावरण में विकास ही संभव हो पाता हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता की आकांक्षाओं के अनुरुप प्रदेश में मजबूत और बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संकल्पबद्घ है.

राजे ने राज्य के आर्थिक हालात सुधारना राज्य सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि वर्तमान में राज्य की आर्थिक स्थिति चिंताजनक है और कुछ मामलों में हमारे पिछले शासनकाल (2003-2008) के मुकाबले विपरीत रुझान दिखाई दे रहे हैं.

वर्ष 2003-04 में वित्तीय घाटा राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 6.6 प्रतिशत था जो 2007-2008 में घटकर 1.75 प्रतिशत हो गया था, लेकिन यह वित्तीय घाटा अब फिर से बढ़ रहा है और 2013-14 के बजट प्रस्ताव के अनुसार यह फिर से बढ़कर 2.48 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

राजे ने कहा कि राजकोषीय रिण एवं प्रतिभूतियां 2008 में 84 हजार करोड़ से बढ़कर वर्ष 2013-14 में 1,31,000 करोड़ हो गया है. जबकि इस समयावधि में खनिज तेल से भी हजारों करोड़ रुपये वार्षिक आय हुई. उन्होने कहा कि इसके अलावा बिजली कम्पनियों के रिण भी बढ़कर तीन गुना हो गये , फिर भी कृषि और घरेलू दोनो क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति संतोषजनक नहीं रही.

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