नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशद्रोह के मामले में जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दी गई अंतरिम जमानत रद्द किए जाने की मांग करने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई के लिए आज 23 मार्च की तारीख तय की. न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा, ‘‘स्थानांतरण के बाद याचिकाएं प्राप्त कर ली गई हैं. इस मामले को 23 मार्च के लिए फिर से अधिसूचित किया जाए।” हालांकि न्यायमूर्ति ने जब सुनवाई की अगली तारीख तय की, तो अधिवक्ता आर पी लूथरा ने पीठ से कहा कि यह एक अत्यावश्यक मामला है और इसकी सुनवाई 21 मार्च को होनी चाहिए.
लूथरा अंतरिम याचिका रद्द किए जाने और झूठी गवाही देने के आरोप में कन्हैया के खिलाफ कार्यवाही शुरु किए जाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से अदालत में पेश हुए. लूथरा ने कहा, ‘‘ मेरा अनुरोध है कि चूंकि यह एक संवेदनशील और अत्यावश्यक मामला है, इसलिए इस मामले में सुनवाई सोमवार (21 मार्च) को होनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि देश की प्रतिष्ठा दांव पर है. पीठ ने इस मौखिक अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा, ‘‘पुलिस मौजूद है और वह इस मामले में अपना काम कर रही है.”
उमराव की याचिका में आरोप लगाया गया है कि कन्हैया ने अंतरिम जमानत मंजूर कराते समय अदालत के समक्ष ‘‘सोच समझ कर और जानबूझकर झूठा हलफनामा दाखिल किया.” एक अन्य याचिकाकर्ता विनीत जिंदल ने भी इस आधार पर कन्हैया की जमानत रद्द किए जाने की मांग की कि रिहाई के बाद दिया गया उनका भाषण ‘‘देश विरोधी” था और इस तरह उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है.
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने कन्हैया के भाषण में कथित रुप से देश विरोधी टिप्पणियां किए जाने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. अदालत ने कहा था कि देश विरोधी नारे लगाए जाने की घटनाओं से निपटने के लिए कानून व्यवस्था है और याचिकाकर्ता को देश की छवि को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. कन्हैया को दो मार्च को छह माह की अंतरिम जमानत दी गई थी। वह नौ फरवरी को जेएनयू में आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में कथित रुप से देश विरोधी नारे लगाए गए थे और संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु को ‘शहीद’ बताया गया था.