नयी दिल्ली : रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि रेलवे को फिर से पटरी पर लाने के लिएसरकार आय के नये स्रोत सृजित करने तथा लागत अनुकूलतम बनाने समेत पांच सूत्रीय रणनीति पर काम कर रही है. यह भारतीय रेलवे के लिएकठिन वर्षों में से एक है और रेल मंत्रालय ग्राहक अनुभव, राजस्व के नये स्रोत, लागत अनुकूलतम बनाने, बुनियादी ढांचे में निवेश तथा संरचनात्मक सुधार पर काम कर रहा है.
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सरकार कर रही है रेलवे को पटरी पर लाने के उपाय : प्रभु
नयी दिल्ली : रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि रेलवे को फिर से पटरी पर लाने के लिएसरकार आय के नये स्रोत सृजित करने तथा लागत अनुकूलतम बनाने समेत पांच सूत्रीय रणनीति पर काम कर रही है. यह भारतीय रेलवे के लिएकठिन वर्षों में से एक है और रेल मंत्रालय ग्राहक अनुभव, राजस्व […]
राजस्व के नये स्रोत के बारे में उन्होंने कहा कि रेलवे की आय माल भाड़ा या किराये से है और ‘‘मेरी राय में यह उचित नहीं है तथा आपको और अधिक प्राप्त करने की जरूरत है.’ प्रभु ने इंडिया टुडे सम्मेलन में कहा, ‘‘इसीलिए हमें राजस्व के नये स्रोत तलाशने की जरुरत है… हम रेलवे में विज्ञापन संभावना तलाश रहे हैं.
यह काफी अधिक हैं. साल में सात अरब लोग आते हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि रेलवे में विज्ञापन की क्या संभावना है और हम उसकी संभावना तलाश रहे हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे माल ढुलाई के मामले में केवल कुछ वस्तुओं पर निर्भर हैं, ऐसे में हम इसके दायरे को बढा रहे हैं. प्रभु ने कहा कि कल कीजरूरतोंको पूरा करने तथा भविष्य की आवश्यकताओं को सृजित करने के लिये बुनियादी ढांचे में बडे पैमाने पर निवेश कीजरूरतहै.
मंत्रालय डिब्बों तथा अन्य चीजों की डिजाइन फिर से तैयार करने के लिएनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलाजी तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन को जोड़ा है. सुरेश प्रभु ने कहा, ‘‘हम 100 प्रतिशत पारदर्शी प्रक्रिया से स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए काम कर रहे हैं….’ उन्होंने कहा कि रेलवे के लिए लागत अनुकूलतम प्रमुख रणनीति है और इस साल बिजली से 3,000 करोड़ रुपये की बचत का लक्ष्य रखा गया है.
संरचनात्मक सुधारों पर मंत्री ने कहा, ‘‘हम रेल विकास प्राधिकरण तैयार कर रहे हैं जो किराया और माल भाड़ा के बारे में फैसला करेगा… हम होल्डिंग कंपनी के लिएभी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि इन सभी उपायों से हमें रेलवे को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.
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