नयी दिल्ली : कुछ आतंकी संगठनों के शासन की नीति और योजना के औजार होने की बात पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंक विविध मंशाओं व कारणों का इस्तेमाल करता है, जो जायज नहीं है. गुरुवार को पहले विश्व सूफी फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ को संगठित शिविरों में प्रशिक्षित किया गया है, जबकि कुछ ऐसे हैं जिन्हें साइबर जगत में ‘अपनी प्रेरणा मिलती है.’
ऑल इंडिया उलामा व मशायख बोर्ड की ओर से आयोजित फोरम में उन्होंने कहा कि आतंकवादी किसी धर्म को विकृत कर देते हैं. हमें आतंकवाद और धर्म के बीच किसी संबंध को निश्चित तौर पर खारिज करना चाहिए. धर्म के नाम पर आतंक फैलाने वाले धर्म विरोधी हैं. और हमें सूफीवाद के संदेश का प्रसार करना चाहिए जो इसलाम व उच्चतम मानव मूल्यों पर खरा उतरता है.
कार्यक्रम का मकसद
ऑल इंडिया उलमा एंड मशैख बोर्ड की ओर से आयोजित इस फोरम का अहम उद्देश्य इसलाम के नाम पर फैलाये जा रहे आतंकवाद के मुकाबले के लिए विकल्पों की तलाश करना है. इसका समापन 20 मार्च को होगा. कार्यक्रम में पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, मिस्र समेत 20 देशों के आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों, शिक्षाविदों समेत 200 से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं.
अल्लाह के 99 नाम , लेकिन किसी का अर्थ हिंसा नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अल्लाह के 99 नाम हैं, लेकिन किसी का अर्थ हिंसा नहीं है. सूफियों के लिए खुदा की खिदमत का मतलब है, इंसानियत की खिदमत करना. हजरत निजामुद्दीन साहब की याद दिलाते हुए कहा, उन्होंने कहा था कि परवरदिगार उन्हें प्यार करते हैं, जो इंसानियत से प्यार करते हैं. ऐसे समय में जब हिंसा की काली छाया लगातार बड़ी होती जा रही है, आप सूफी विद्वान उम्मीद की रोशनी हैं. जब गलियों में बच्चों की मुस्कान को बंदूकों से खामोश कर दिया जाता है, तो आपकी आवाज इन जख्मों को भरने वाली है.