सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में बोले जेटली : दुष्प्रचार करने की बजाए लोगों को शिक्षित बनाये

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि विभिन्न प्रकार के दुष्प्रचार के जरिये लोगों में एक तरह की बात परोसने की बजाए मीडिया स्वास्थ्य सेवा, लोगों की शिक्षा जैसे अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. वित्त मंत्रालय के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभाव रखने वाले केंद्रीय मंत्री जेटली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 18, 2016 2:50 PM

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि विभिन्न प्रकार के दुष्प्रचार के जरिये लोगों में एक तरह की बात परोसने की बजाए मीडिया स्वास्थ्य सेवा, लोगों की शिक्षा जैसे अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. वित्त मंत्रालय के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभाव रखने वाले केंद्रीय मंत्री जेटली ने राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस कार्यक्रम में चैनलों को नवोन्मेषी कार्यक्रमों के लिए सम्मानित किया गया. जेटली ने कहा, ‘विभिन्न तरह के दुष्प्रचार के जरिये लोगों के समक्ष एक तरह की बात परोसने की बजाए अगर आप स्वास्थ्य सेवाओं, निरोधक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एवं ऐसे ही सतत कार्यक्रमों के जरिये अभियान को आगे बढाते है तो रेडियो लोगों को जागरुक और शिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.’

इस दौरान मंत्री ने एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन का भी जिक्र किया जिसे स्वास्थ्स अभियान के लिए सम्मानित किया गया है. जेटली ने कहा कि भारत की बोली, मौसम, प्रत्येक जिले के हिसाब से फसलों के पैटर्न में बदलाव और लोगों को इनके बारे में जानकारी देने और शिक्षित करने में सामुदायिक रेडियो की भूमिका मजबूत होती जा रही है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर समाचारपत्रों की दायरा कम होता जा रहा है लेकिन भारतीय क्षेत्रीय समाचारपत्रों का दायरा बढ रहा है. यही चलन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों पर भी लागू होता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि 191 सामुदायिक रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं हालांकि 400 को मंजूरी दी जा चुकी है. ‘इसलिए जहां तक सामुदायिक रेडियो का सवाल है, इसमें काफी वृद्धि और कनेक्टिविटी विस्तार होनी चाहिए.’

जेटली ने कहा कि दो दशक पहले सरकार सहित ऐसी आम गलत धारणा थी कि रेडियो और टीवी पर शासन का एकाधिकार है. उन्होंने कहा कि यह चलन बदला क्योंकि लोगों को केवल सरकार या सार्वजनिक प्रसारक के नियंत्रण वाले रेडियो या टेलीविजन द्वारा कोई चीज परोसी नहीं जा सकती है हालांकि इनकी भी भूमिका होती है. यह स्थिति वायु तरंगे मुक्त किए जाने और इनका स्वामित्व लोगों में निहित करने से बदली. इसके बाद टीवी चैनलों की बाढ आ गयी और काफी संख्या में एफएम चैनल भी आए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक समय टीवी ने मुख्य स्थान ग्रहण कर लिया था लेकिन एफएम के विस्तार के साथ रेडिया फिर से लौट आया है. सम्मेलन को सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड ने भी संबोधित किया.

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