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आय बढ़ाने के लिए खेती में विविधता, डेयरी क्षेत्र पर ध्यान दें किसान : प्रधानमंत्री

नयीदिल्ली : लगातार दो साल सूखा पड़ने से कृषि उत्पादन प्रभावित होने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जल संरक्षण केलिए कदम उठाने और किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए फसलों में विविधता लाने के साथ-साथ डेयरी, पोल्टरी तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसी सहायक गतिविधियों पर ध्यान देने को कहा. यहां आयोजित तीन दिवसीय […]

नयीदिल्ली : लगातार दो साल सूखा पड़ने से कृषि उत्पादन प्रभावित होने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जल संरक्षण केलिए कदम उठाने और किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए फसलों में विविधता लाने के साथ-साथ डेयरी, पोल्टरी तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसी सहायक गतिविधियों पर ध्यान देने को कहा.

यहां आयोजित तीन दिवसीय ‘कृषि उन्नति मेले’ का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि मई 2014 में सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने केलिए कई कदम उठाये हैं. किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की दृष्टि से सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने और नयी बीमा योजनाशुरू करने सहित कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाये हैं.

ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2012 से जून 2013 के बीच खेतीबाड़ी करने वाले परिवारों की अखिल भारतीय औसत मासिक आय 6,426 रुपये थी.

प्रधानमंत्री ने पूर्वी राज्यों में आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाकर दूसरी हरित क्रांति लाने का भी आह्वान किया. उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की धरती को उर्वरा और पानी उपलब्धता से परिपूर्ण माना जाता है. कृषि उत्पादकता और आमदनी को बढ़ाने के लिए जल संरक्षण पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने ऐसी 90 सिंचाई परियोजनाओं की पहचान की है जो कि अटकी पड़ी हैं और जिनसे 80 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि सरकार सिंचाई व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

प्रधानमंत्री ने विपक्ष को उसके इस दावे के लिएआड़े हाथों लिया कि उसके सत्ता में रहते ही इन सभी परियोजनाओं और कार्यक्रमों को शुरू किया गया. मोदी ने कहा ‘‘आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कम से कम 90 परियोजनाएं हैं जिनमें बांध बनाये गये हैं और पानी भरा है लेकिन उनमें किसानों को पानी पहुंचाने का कोई जरिया नहीं बनाया गया.’ उन्होंने कहा, अब हमारी सरकार इन परियोजनाओं से किसानों को पानी देने के लिए काम कर रही है और एक बार इनके पूरा हो जाने पर करीब 80 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई केलिए पानी मिल सकेगा. एक बार पानी वहां पहुंच जायेगा तो आप सोच सकते हैं कि वह जमीन आपको कितना कुछ दे सकती है. प्रधानमंत्री ने मनरेगा कार्यक्रम का जिक्र करतेहुए कहा कि इन गर्मियों में मनरेगा के तहत आवंटित धन का इस्तेमाल तालाब बनाने पर भी खर्च किया जायेगा ताकि जल संरक्षण कोबढ़ावा दिया जा सके. मोदी ने कहा, मनरेगा को लेकर बहुत विचार-विमर्श हुए लेकिन किसी संपत्ति का कोई निर्माण नहीं हुआ. यह सरकार जोर दे रही है कि इस गर्मी हर गांव में मनरेगा के जरिये कोई एक काम किया जायेगा और वह होगा जलाशयों, तालाबों की गाद निकालना उन्हें गहरा बनाना और नये तालाबों का निर्माण. इस बजट में सरकार का ध्येय पांच लाख तालाब बनाने का है. प्रधानमंत्री ने लघु और बूंद-बूंद सिंचाई पर भी जोर दिया साथ ही उत्पादन लागत को कम करने और किसानों के आय स्तर को बढाने के लिए तरल उर्वरक अपनाने पर जोर दिया.

मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के साथ साथ जल संचयन भी महत्वपूर्ण है. हमें पानी को बर्बाद करने का अधिकार नहीं है. हर बूंद अधिक फसल से हम पानी का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री ने किसानों से अपनी खेती की नियमित गतिविधियों को जारी रखने को कहा लेकिन इसके साथ ही पशुपालन, टिम्बर उगाहने तथा मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण पर भी ध्यान देने को कहा.

उन्होंने सुझाव दिया, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र किसानों की आय बढाने का बेहतरीन तरीका है.

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