आजाद ने PM को लिखा पत्र, पूछा- दंगाईयों के खिलाफ क्यों नहीं होती है कार्रवाई

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने आज कहा कि चुनावी फायदों के लिए सांप्रदायिक नफरत और अविश्वास पैदा कर रहे संघ परिवार से जुडे लोगों पर मोदी सरकार का नियंत्रण नहीं करना संदेह पैदा करता है कि यह धु्रवीकरण और विभाजन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2016 6:14 PM

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने आज कहा कि चुनावी फायदों के लिए सांप्रदायिक नफरत और अविश्वास पैदा कर रहे संघ परिवार से जुडे लोगों पर मोदी सरकार का नियंत्रण नहीं करना संदेह पैदा करता है कि यह धु्रवीकरण और विभाजन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक समुदाय पर बढते कथित हमलों की बात की है जिनमें झारखंड के लातेहार जिले में दो मवेशी कारोबारियों को मारकर पेड़ से लटकाने की ताजा घटना शामिल है.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने अपने दो पन्नों के खत में लिखा, ‘‘मैं बहुत निराशा के साथ यह कहने को विवश हूं कि जघन्यता और भीड़ की हिंसा के ऐसे घटनाक्रम दुनिया के उन कुछ हिस्सों की झलक देते हैं जहां लोकतंत्र नहीं है. ये भारत की घटनाएं नहीं दिखाई देती जहां कानून के शासन से संचालित एक जीवंत और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का व्यापक सम्मान होता है.’ आजाद ने केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद डराने, धमकाने, भीड की हिंसा की घटनाओं में इजाफे की बात कही और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की बहुसंख्यकवादी राय सावधानीपूर्वक और जानबूझ कर पैदा की जा रही है. लोकतंत्र, बहुलवाद, सामाजिक समरसता और शांति पर गंभीर असर पडा है तथा देश का विकास भी प्रभावित हुआ है.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और सिविल सोसायटी सांप्रदायिक नफरत और ध्रुवीकरण के बढते माहौल के प्रति सरकार का ध्यान लगातार खींच रहे हैं.
आजाद ने कहा, ‘‘सत्तारुढ पार्टी के मंत्री, सांसद और विधायक, नेता तथा संघ परिवार के संगठन समुदायों के विभाजन और धु्रवीकरण के लिए लगातार भडकाउ बयान दे रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हैरानी की बात है कि ऐसे तत्वों पर लगाम कसने के लिए सरकार और भाजपा नेतृत्व की ओर से कोई स्पष्ट प्रयास नहीं दिखाई दे रहा है जिससे संदेह बढता है कि यह धु्रवीकरण और विभाजन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है

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