नयी दिल्ली : भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज इन आरोपों को गलत बताया कि सरदार पटेल मुस्लिम विरोधी थे और इस संबंध में एक इस्लामी विद्वान और कांग्रेस नेता रफीक जकारिया को उद्धृत किया जिन्होंने लौह पुरुष की राष्ट्रवादी छवि को उजागर करने के लिए उनपर शोध किया है.
आडवाणी ने अपने ब्लॉग में एक राष्ट्रीय पत्रिका में छपे एक विकृत लेख पर हैरत जताई, जिसमें अभिलेख का हवाला देते हुए पटेल को उग्र सांप्रदायिक शख्सियत और जवाहरलाल नेहरु को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद के प्रतीक का तमगा दिया गया है.
लेख में कहा गया है कि यही वजह है कि संघ परिवार एक की पूजा करता है और दूसरे से घृणा करता है. वयोवृद्ध भाजपा नेता ने इस बात से पूरी तरह इंकार करते हुए इसके जवाब में जकारिया के विचार पेश किए, जिन्हें भारतीय मुस्लिमों से जुड़े विषयों का महारथी माना जाता है.
जकारिया के व्याख्यानों पर आधारित उनकी किताब सरदार पटेल एंड इंडियन मुस्लिम का हवाला देते हुए आडवाणी ने कहा कि कांग्रेस के नेता भी इसी ख्याल में थे कि पटेल मुस्लिमों को पसंद नहीं करते थे.
जकारिया ने लिखा है, मैं सोचता था कि वह (पटेल) मुस्लिम विरोधी हैं. क्या मैं सही हूं यह पता लगाने के लिए मैंने उनकी स्मृति में आयोजित व्याख्यानों का अध्ययन किया, जिसमें उनके बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी हो सकता था.
आडवाणी ने जकरिया की किताब के हवाले से अपने ब्लॉग में लिखा, मैंने जितना खोजा, उतना ही ज्यादा मैं इस बात को लेकर आश्वस्त होता गया कि कई पहलुओं से लौह पुरुष को गलत समझा गया है और भारतीय मुस्लिमों के प्रति उनके रवैये को लेकर भ्रांतियां हैं, जिन्हें हटाने की जरुरत है. मुझे खुशी है कि मैं अपनी तसल्ली की हद तक ऐसा करने में सफल रहा. जकरिया का कहना है कि भारत के पूर्व महाधिवक्ता फली नरीमन ने उनपर लिखा है कि उन्हें उनके व्याख्यान सुनकर आनंद आता था, मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चपलगांवकर का भी कुछ ऐसा ही ख्याल है.
जकरिया लिखते हैं, बहुत से और लोगों का भी ख्याल है कि मैं भारतीय मुस्लिमों के प्रति पटेल के रवैए का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करने में सफल रहा, जिसकी सांप्रदायिक जहर से दूषित हो चुके मौजूदा हालात में भी बहुत जरुरत है.