वर्ष 2013 में आसान नहीं रहा रेलवे का सफर

नयी दिल्ली : आर्थिक तंगी का सामना कर रहे रेलवे का वर्ष 2013 का सफर उथल पुथल वाला रहा. नौकरी के लिए नगद घोटाला के मद्देनजर न केवल इसके मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा बल्कि करीब 4000 करोड़ रुपये के राजस्व कमी का सामना कर रहे इस राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने ‘‘फ्यूल एडजस्टमेंट कम्पोनेंट’’ व्यवस्था (एफएसी) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2013 3:02 PM

नयी दिल्ली : आर्थिक तंगी का सामना कर रहे रेलवे का वर्ष 2013 का सफर उथल पुथल वाला रहा. नौकरी के लिए नगद घोटाला के मद्देनजर न केवल इसके मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा बल्कि करीब 4000 करोड़ रुपये के राजस्व कमी का सामना कर रहे इस राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने ‘‘फ्यूल एडजस्टमेंट कम्पोनेंट’’ व्यवस्था (एफएसी) भी इस साल लागू की जिसके कारण इसके यात्री किराये और माल भाड़े में तकरीबन दो प्रतिशत बढोत्तरी हुई. रेल भवन ने इस वर्ष तीन मंत्रियों का स्वागत किया जबकि इसके एक साल पहले 2012 में उसे एक के बाद एक चार मंत्रियों का सामना करना पड़ा था.

कश्मीर रेल संपर्क परियोजना के एक हिस्से के रुप में काजीगुंद से बनिहाल तक रेल लाइन का विस्तार वर्ष 2013 में रेलवे की महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहीं. रेल मंत्री पवन कुमार बंसल को इस साल मई में उस समय इस्तीफा देना पड़ा था जब उनके भांजे को रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार को प्रमोशन में मदद के लिए कथित रुप से 90 लाख रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया. इसके बाद सी पी जोशी को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी. जेशी के पास तीन हफ्ते तक रेल मंत्रालय का प्रभार रहा. उसके बाद जून में मल्लिकार्जुन खड़गे को रेल मंत्री बनाया गया.


तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे से जुड़े इस घूस कांड ने रेल मंत्रालय को हिला कर रख दिया. इसके कारण न केवल बंसल को रेल मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि मंत्रालय में शीर्ष पदों पर नियुक्ति के मामले में निर्णय की प्रक्रिया की रफ्तार धीमी पड़ी और इसके परिणामस्वरुप रेलवे बोर्ड के सदस्यों एवं जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों के रिक्त पदों पर भर्ती में विलंब हुआ. अक्तूबर महीने में अंतत: अरुणोन्द्र कुमार को रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

नये मंत्री और कर्नाटक से कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेलवे का कामकाज संभालने के बाद कुछ प्रमुख कदम उठाये. किराये में एफएसी (फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट) लागू करने के अलावा उन्होंने प्रमुख ट्रेनों में खानपान के शुल्कों में बढोत्तरी किये जाने की वकालत की जिसमें दशकों से कोई फेरबदल नहीं हुआ था. एफएसी लागू करने के कारण यात्री किराये और माल भाड़े में तकरीबन दो प्रतिशत बढोत्तरी हुई जबकि खानपान के शुल्कों में बढोत्तरी के कारण राजधानी, शताबदी और दुरंतो का किराया और बढ गया. इतना ही नहीं, खड़गे ने दुरंतो के किराये को राजधानी के किराये के अनुरुप बढाने की भी हरी झंडी दिखा दी. हालांकि राजनीतिक दृष्टिकोण से इन निर्णयों को अरुचिकर समझा गया क्योंकि इससे यात्री किराये और माल भाड़े में बढोत्तरी हुई.

तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के जमाने में शुरु की गईं दुरंतो ट्रेनों में से कुछ में सीटें खाली पड़े रहने के कारण उन्हें मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में तब्दील करने का निर्णय किया गया. साथ ही उनके यात्र मार्ग में कुछ अतिरिक्त ठहराव भी दिये गये.नगदी संकट से जूझ रहे रेलवे ने गैर जरुरी योजनाओं पर खर्चे में कटौती करने सहित अनेक कदम इस साल उठाये. आर्थिक तंगी के अलावा रेलवे कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहा है. रेलवे में दो लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं.

ठंड का मौसम हर साल रेलवे के लिए समस्या लेकर आता है क्योंकि उत्तर भारत में घने कोहरे के कारण रेल यातायात पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और उसे कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ती हैं. इतना ही नहीं, ट्रेन दुर्घटनाओं का भी खतरा मंडराता रहता है.

रेलवे ने यात्री ट्रेनों में शौचालयों को बदल कर बायो टायलेट लगाने की प्रक्रिया के तहत सितम्बर तक 3744 शौचालय ट्रेनों में लगाए जा चुके हैं. इसके अलावा बिहार में डीजल और बिजली इंजन कारखाना लगाने की दिशा में भी प्रगति हुई है. रेलवे ने महरौड़ा और मधेपुरा में पीपीपी माडल के तहत स्थापित किये जाने वाले कारखानों के लिए तकनीकी मानदंड को अंतिम रुप दे दिया है.

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